"हिन्दुत्व" और "हिन्दू राष्ट्र" पर मेरे विचार :-----
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हिन्दुत्व :---- जिस भी व्यक्ति के अन्तःकरण में परमात्मा के प्रति प्रेम और श्रद्धा-विश्वास है, जो आत्मा की शाश्वतता, पुनर्जन्म, कर्मफलों के सिद्धान्त, व ईश्वर के अवतारों में आस्था रखता है, वह हिन्दू है, चाहे वह विश्व के किसी भी भाग में रहता है, या उसकी राष्ट्रीयता कुछ भी है| हिन्दू माँ-बाप के घर जन्म लेने से ही कोई हिन्दू नहीं होता| हिन्दू होने के लिए किसी दीक्षा की आवश्यकता नहीं है| स्वयं के विचार ही हमें हिन्दू बनाते हैं|
आध्यात्मिक रूप से हिन्दू वह है जो हिंसा से दूर है| मनुष्य के लोभ और राग-द्वेष व अहंकार को ही मैं हिंसा मानता हूँ| लोभ, राग-द्वेष और अहंकार से मुक्ति .... परमधर्म "अहिंसा" है| जो इस हिंसा (राग-द्वेष, लोभ व अहंकार) से दूर है वह हिन्दू है|
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हिन्दू राष्ट्र :---- एक विचारपूर्वक किया हुआ संकल्प और निजी मान्यता है| हिन्दू राष्ट्र ऐसे व्यक्तियों का एक समूह है जो स्वयं को हिन्दू मानते हैं, जिन की चेतना ऊर्ध्वमुखी है, जो निज जीवन में परमात्मा को व्यक्त करना चाहते हैं, चाहे वे विश्व में कहीं भी रहते हों|
कुछ व्यक्तियों की मान्यता है कि हिन्दू राष्ट्र ऐसे व्यक्तियों का एक समूह है जो भारतवर्ष को अपनी पुण्यभूमि मानता हो| मेरा उन से कोई विरोध नहीं है, पर उनके इस विचार से तो हिन्दू राष्ट्र सीमित हो जाता है| भारत से बाहर रहने वाले वे व्यक्ति जो स्वयं को हिन्दू मानते हैं, फिर हिन्दुत्व से दूर हो जाएँगे| अतः हिन्दू राष्ट्र की परिकल्पना को हमें विस्तृत रूप देना होगा|
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उपरोक्त मेरे निजी व्यक्तिगत विचार हैं, अतः किसी को इन से बुरा मानने या आहत होने की आवश्यकता नहीं है| आप सब को नमन| ॐ तत्सत् ॐ ॐ ॐ ||
कृपा शंकर
२८ दिसंबर २०१९
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हिन्दुत्व :---- जिस भी व्यक्ति के अन्तःकरण में परमात्मा के प्रति प्रेम और श्रद्धा-विश्वास है, जो आत्मा की शाश्वतता, पुनर्जन्म, कर्मफलों के सिद्धान्त, व ईश्वर के अवतारों में आस्था रखता है, वह हिन्दू है, चाहे वह विश्व के किसी भी भाग में रहता है, या उसकी राष्ट्रीयता कुछ भी है| हिन्दू माँ-बाप के घर जन्म लेने से ही कोई हिन्दू नहीं होता| हिन्दू होने के लिए किसी दीक्षा की आवश्यकता नहीं है| स्वयं के विचार ही हमें हिन्दू बनाते हैं|
आध्यात्मिक रूप से हिन्दू वह है जो हिंसा से दूर है| मनुष्य के लोभ और राग-द्वेष व अहंकार को ही मैं हिंसा मानता हूँ| लोभ, राग-द्वेष और अहंकार से मुक्ति .... परमधर्म "अहिंसा" है| जो इस हिंसा (राग-द्वेष, लोभ व अहंकार) से दूर है वह हिन्दू है|
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हिन्दू राष्ट्र :---- एक विचारपूर्वक किया हुआ संकल्प और निजी मान्यता है| हिन्दू राष्ट्र ऐसे व्यक्तियों का एक समूह है जो स्वयं को हिन्दू मानते हैं, जिन की चेतना ऊर्ध्वमुखी है, जो निज जीवन में परमात्मा को व्यक्त करना चाहते हैं, चाहे वे विश्व में कहीं भी रहते हों|
कुछ व्यक्तियों की मान्यता है कि हिन्दू राष्ट्र ऐसे व्यक्तियों का एक समूह है जो भारतवर्ष को अपनी पुण्यभूमि मानता हो| मेरा उन से कोई विरोध नहीं है, पर उनके इस विचार से तो हिन्दू राष्ट्र सीमित हो जाता है| भारत से बाहर रहने वाले वे व्यक्ति जो स्वयं को हिन्दू मानते हैं, फिर हिन्दुत्व से दूर हो जाएँगे| अतः हिन्दू राष्ट्र की परिकल्पना को हमें विस्तृत रूप देना होगा|
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उपरोक्त मेरे निजी व्यक्तिगत विचार हैं, अतः किसी को इन से बुरा मानने या आहत होने की आवश्यकता नहीं है| आप सब को नमन| ॐ तत्सत् ॐ ॐ ॐ ||
कृपा शंकर
२८ दिसंबर २०१९