Friday 27 December 2019

जीसस क्राइस्ट .... एक चेतना है .....

जहाँ आसुरी शक्तियाँ अपना तांडव कर रही है, वहीं समय के साथ बदली हुई परिस्थितियों में अब एक समय ऐसा भी आ गया है कि धीरे धीरे मनुष्य की चेतना ऊर्ध्वमुखी हो रही है| धीरे धीरे पूरे विश्व में जागरूक क्रिश्चियन मतावलंबी यानि जीसस क्राइस्ट के अनुयायी स्वेच्छा से सनातन धर्म का अनुसरण आरंभ कर देंगे| पश्चिमी जगत में करोड़ों लोग नित्य नियमित ध्यान साधना और प्राणायाम करने लगे हैं| लाखों लोग नित्य नियमित रूप से गीता का स्वाध्याय करते हैं| "कूटस्थ चैतन्य" या "श्रीकृष्ण चैतन्य" शब्द को "Christ Consciousness" के रूप में कहना बहुत लोकप्रिय हो रहा है| वास्तव में Christ किसी का नाम नहीं है, Christ का अर्थ है ...."अभिषेक", जिसका अभिषेक हुआ हो (anointed one)|
.
जीसस क्राइस्ट को मैं एक व्यक्ति नहीं, एक चेतना मानता हूँ जो वास्तव में
"श्रीकृष्ण चैतन्य" यानि "कूटस्थ चैतन्य" ही थी| उस चेतना की अनुभूति गहन ध्यान में होती है| वर्तमान ईसाई मत तो एक चर्चवाद है, जिस का क्राइस्ट से कोई लेनदेन नहीं है| अजपा-जप, आज्ञाचक्र और उस से ऊपर अनंत में असीम ज्योतिर्मय ब्रह्म के ध्यान, नादानुसंधान,और जपयोग से जिस चेतना का प्रादुर्भाव होता है वह "कूटस्थ चैतन्य" यानि "Christ Consciousness" है| यह चेतना ही भविष्य में मानवता को जोड़ेगी और विश्व को एक करेगी| संसार का बीज "कूटस्थ" है|
.
ॐ तत्सत् ! ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
२१ दिसंबर २०१९

No comments:

Post a Comment