Thursday 26 December 2019

जब कृपा होय रघुनाथ की बाल न बांका होय .....

"जितने तारे गगन मे उतने शत्रु होंय, जब कृपा होय रघुनाथ की बाल न बांका होय||"
भय की क्या बात है? भगवान श्रीराम स्वयं हमारी रक्षा कर रहे हैं| वाल्मीकि रामायण में उनका दिया हुआ वचन है ....
"सकृदेव प्रपन्नाय तवास्मीति च याचते| अभयं सर्वभूतेभ्यो ददाम्येतद् व्रतं मम||"
(६/१८/३३)
अर्थात जो एक बार भी शरण में आकर ‘मैं तुम्हारा हूँ’ ऐसा कहकर मेरे से रक्षा की याचना करता है, उसको मैं सम्पूर्ण प्राणियों से अभय कर देता हूँ’‒यह मेरा व्रत है|
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ऐसे ही वासुदेव भगवान श्रीकृष्ण का शरणागत कभी इस संसार-बंधन में बापस नहीं आ सकता| चाहे सारा ब्रह्मांड टूट कर बिखर जाए, यदि गीता वाले वासुदेव भगवान श्रीकृष्ण हृदय में हैं तो कोई किसी का कुछ भी नहीं बिगड़ सकता| उस महाविनाश के मध्य में भी निर्भय खड़े होकर हम कह सकते हैं....
"यं लब्ध्वा चापरं लाभं मन्यते नाधिकं ततः| यस्मिन्स्थितो न दुःखेन गुरुणापि विचाल्यते||६:२२||"
भगवान वासुदेव हम सब की रक्षा करें|
ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
३ दिसंबर २०१९

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