हम "समाज सेवा" की बात करते हैं, तो किस समाज की बात कर रहे हैं?
"समाज सेवा" के लिए ही तो हमने अपने पैसों से इतने सारे ..... सांसद, विधायक और पार्षद चुने हैं| "समाज सेवा" करना उनका सर्वोपरि धर्म है|
समाज और राष्ट्र की अवधारणा यदि जन मानस में होती तो इतने दुर्दिन नहीं देखने पड़ते|
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स्वयं को सब प्रकार के विकारों से मुक्त कर समष्टि के साथ एकत्व ही सबसे बड़ी सेवा है|
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ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
२ अगस्त २०१८
"समाज सेवा" के लिए ही तो हमने अपने पैसों से इतने सारे ..... सांसद, विधायक और पार्षद चुने हैं| "समाज सेवा" करना उनका सर्वोपरि धर्म है|
समाज और राष्ट्र की अवधारणा यदि जन मानस में होती तो इतने दुर्दिन नहीं देखने पड़ते|
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स्वयं को सब प्रकार के विकारों से मुक्त कर समष्टि के साथ एकत्व ही सबसे बड़ी सेवा है|
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ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
२ अगस्त २०१८
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