Wednesday 8 August 2018

अंतहीन भागदौड़ .....

अंतहीन भागदौड़ .....
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सांसारिक दृष्टी से सब कुछ मिल जाने के पश्चात् भी एक खालीपन जीवन में रहता है, कहीं भी सुख, शांति, सुरक्षा और संतुष्टि नहीं मिलती| हमारी सांसारिक उपलब्धियाँ हीं हमारे व्यक्तिगत, पारिवारिक और सामाजिक जीवन में तनाव और कष्टों का कारण बन जाती हैं| इतनी पारिवारिक कलह, तनाव, लड़ाई-झगड़े, मिथ्या आरोप-प्रत्यारोप, अवसादग्रस्तता और आत्महत्याएँ ..... हमारा सामाजिक ढाँचा ही खोखला हो गया है| सब कुछ होते हुए भी लोगों के जीवन में एक शुन्यता और पीड़ा है|
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यह पीड़ा अपनी अंतरात्मा यानि स्वयं को न जानने की पीड़ा है| जीवन में वास्तविक सुख, शांति, संतुष्टि और सुरक्षा स्वयं के हृदय मंदिर में स्थित परमात्मा में ही है, स्वयं से बाहर कहीं भी नहीं| यह मेरा अपना स्वयं का निजी अनुभव है जिसे मैं यहाँ व्यक्त कर रहा हूँ|
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हम सब परमात्मा की साकार अभिव्यक्तियाँ हैं| सब को सप्रेम सादर नमन !
ॐ तत्सत् | ॐ ॐ ॐ ||

कृपा शंकर
०३ अगस्त २०१८

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