अब और क्या चाहिए ? भगवान ने सब कुछ तो दे दिया है .....
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इस जीवन के सारे विगत घटनाक्रमों का सिंहावलोकन व विश्लेषण करने के उपरांत मैं परमात्मा की कृपा से निम्न निष्कर्ष पर पहुंचा हूँ ..... मेरी सारी कमियाँ, असफलताएँ, विफलताएँ, विपरीत परिस्थितियाँ, आदि आदि सब मेरे अपने ही कर्मों का फल थीं, इसमें किसी अन्य का कोई दोष नहीं है|
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इस जीवन के सारे विगत घटनाक्रमों का सिंहावलोकन व विश्लेषण करने के उपरांत मैं परमात्मा की कृपा से निम्न निष्कर्ष पर पहुंचा हूँ ..... मेरी सारी कमियाँ, असफलताएँ, विफलताएँ, विपरीत परिस्थितियाँ, आदि आदि सब मेरे अपने ही कर्मों का फल थीं, इसमें किसी अन्य का कोई दोष नहीं है|
मेरे जन्म-जन्मान्तरों के विचार ही मेरे कर्म थे| इन कर्मफलों से मुक्त होने का एक ही मार्ग है और वह है ..... परमात्मा से परम प्रेम| अन्य कोई मार्ग नहीं है| परम प्रेम से ही हम इस देह की चेतना और कर्ताभाव से मुक्त होते हैं | यही वास्तविक मुक्ति है| अब भगवान तो सर्वत्र हैं, वे मेरी अंतर्दृष्टि से कभी भी ओझल नहीं हो सकते, और न ही मैं उन की दृष्टी से ओझल हो सकता हूँ|
सब कुछ तो मिल गया है फिर अब और क्या चाहिए?
भगवान कहते हैं .....
भगवान कहते हैं .....
"यो मां पश्यति सर्वत्र सर्वं च मयि पश्यति| तस्याहं न प्रणश्यामि स च मे न प्रणश्यति||६:३०||"
"सर्वभूतस्थितं यो मां भजत्येकत्वमास्थितः| सर्वथा वर्तमानोऽपि स योगी मयि वर्तते||६:३१||"
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अब और कुछ भी नहीं चाहिए, कोई बंधन नहीं हैं| जब भगवान साक्षात रूप से स्वयं मेरे ह्रदय में हैं तो उनकी अनुमति के बिना कोई ग्रह-नक्षत्र, कोई देवी-देवता, कोई भूत-पिशाच-राक्षस-असुर मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकता| जब भगवान ही नाश करना चाहेंगे तो कोई रोक भी नहीं सकता|
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ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
६ अगस्त २०१८
"सर्वभूतस्थितं यो मां भजत्येकत्वमास्थितः| सर्वथा वर्तमानोऽपि स योगी मयि वर्तते||६:३१||"
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अब और कुछ भी नहीं चाहिए, कोई बंधन नहीं हैं| जब भगवान साक्षात रूप से स्वयं मेरे ह्रदय में हैं तो उनकी अनुमति के बिना कोई ग्रह-नक्षत्र, कोई देवी-देवता, कोई भूत-पिशाच-राक्षस-असुर मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकता| जब भगवान ही नाश करना चाहेंगे तो कोई रोक भी नहीं सकता|
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ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
६ अगस्त २०१८
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