श्रद्धांजलि : --
मरे हुए व्यक्ति की निंदा नहीं करनी चाहिए पर उसके कृत्यों की अल्प समीक्षा करने में कोई बुराई नहीं है| मैं यहाँ तमिलनाडु के तमिल फ़िल्मी पटकथा लेखक से राजनेता बने करूणानिधि की बात कर रहा हूँ| मैं इन को इन के एक ही डिजाइन के स्थायी रूप से पहिने जाने वाले काले चश्मे से प्रभावित होकर सन १९६५ से जानता हूँ| मैंने उस समय युवावस्था में कदम रखा ही था| मेरे तमिल मित्र बताते थे कि वे तमिल फिल्मों के सर्वश्रेष्ठ पटकथा लेखक हैं| उस समय तमिल फिल्मों के नायक MG रामचंद्रन के बाद करूणानिधि तमिलनाडु में सबसे अधिक लोकप्रिय व्यक्ति थे| इन दोनों की सार्वजनिक पहिचान इनके काले चश्मे से ही थी| दुनिया बदल गयी पर मरते दम तक इनके चश्मों की डिजाइन नहीं बदली| इनसे अधिक लोकप्रिय कोई व्यक्ति वहाँ हुआ है तो वे सिर्फ अन्नादुराई थे|
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जब MGR की मृत्यु हुई उस समय मैं तमिलनाडु में कोयम्बतूर गया हुआ था| इनके मरने के दुःख में पूरा तमिलनाडू ही बंद हो गया था| इनके वियोग में पूरे तमिलनाडू में दस-बारह से अधिक लोगों ने आत्मदाह कर के आत्महत्या कर ली थी| अनगिनत लोगों ने सिर मुंडवा लिए और हज़ारो स्त्रियाँ छाती और सिर पीट पीट कर रोईं| मुझे विश्वास नहीं हो रहा था कि मैं स्वप्न देख रहा हूँ या वास्तविकता| पर यह स्वप्न नहीं था|
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सन १९६५ में भारत के पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्री लालबहादुर शास्त्री ने हिंदी को भारत की राजभाषा घोषित कर दिया था जिसके विरोध में करूणानिधि के नेतृत्व में पूरा तमिलनाडु जल उठा था| सारे रेलवे स्टेशनों से हिंदी में लिखे नामों पर रंग पोत दिया गया| पूरे राज्य में हिंदी में लिखे सारे साइन बोर्ड हटा दिए गए| सारी रेलगाड़ियाँ बंद कर दी गईं और केंद्र सरकार के सभी कार्यालयों में आग लगा दी गयी| हिंदी विरोध में पूरा जनजीवन ठप्प कर दिया गया| कोई हिंदी में बात करता तो लोग उसे गाली देने लगते|
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इस घटना से क्षुब्ध होकर शास्त्री जी ने अपना निर्णय बापस ले लिया और यह भी घोषणा कर दी कि जब तक भारत का एक भी राज्य हिंदी को राजभाषा बनाना नहीं चाहेगा तब तक हिंदी राजभाषा नहीं बनेगी| उस समय तमिलनाडू को छोड़कर अन्य सारे राज्य हिंदी के समर्थन में थे|
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कालान्तर में कई घटनाक्रम हुए, कई बार वहाँ की सरकार बर्खास्त भी हुई| DMK पार्टी केंद्र की सत्ता में भी भागीदार बनी| इनके मंत्री भी केंद्र में बने| इनकी बेटी और एक सम्बन्धी भ्रष्टाचार में लिप्त पाए गए और जेल की हवा भी खाई| कुल मिलाकर करूणानिधि ने तमिलनाडू पर सबसे अधिक राज किया|
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मैं इन का कभी भी प्रशंसक नहीं रहा और न ही हूँ| ये घोर हिन्दुद्रोही थे| हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों से इन्हें बड़ी चिढ़ थी| इनके परिवार वालों के नाम ही हिन्दू थे पर ये सब घोर नास्तिक थे| इन का रुझान ईसाईयत की ओर था| इन में या इन के परिवार में कोई ईमानदारी थी ऐसा कोई नहीं कह सकता|
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इन को मोक्ष प्राप्त हो ताकि ये संसार में बापस न आयें| श्रद्धांजलि ! सादर नमन !
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पुनश्चः : ये घोर रामद्रोही और ब्राह्मणद्रोही थे| हजारों ब्राह्मण परिवार इन की पार्टी के लोगों के कारण तमिलनाडू छोड़कर अन्यत्र चले गए|
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जब MGR की मृत्यु हुई उस समय मैं तमिलनाडु में कोयम्बतूर गया हुआ था| इनके मरने के दुःख में पूरा तमिलनाडू ही बंद हो गया था| इनके वियोग में पूरे तमिलनाडू में दस-बारह से अधिक लोगों ने आत्मदाह कर के आत्महत्या कर ली थी| अनगिनत लोगों ने सिर मुंडवा लिए और हज़ारो स्त्रियाँ छाती और सिर पीट पीट कर रोईं| मुझे विश्वास नहीं हो रहा था कि मैं स्वप्न देख रहा हूँ या वास्तविकता| पर यह स्वप्न नहीं था|
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सन १९६५ में भारत के पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्री लालबहादुर शास्त्री ने हिंदी को भारत की राजभाषा घोषित कर दिया था जिसके विरोध में करूणानिधि के नेतृत्व में पूरा तमिलनाडु जल उठा था| सारे रेलवे स्टेशनों से हिंदी में लिखे नामों पर रंग पोत दिया गया| पूरे राज्य में हिंदी में लिखे सारे साइन बोर्ड हटा दिए गए| सारी रेलगाड़ियाँ बंद कर दी गईं और केंद्र सरकार के सभी कार्यालयों में आग लगा दी गयी| हिंदी विरोध में पूरा जनजीवन ठप्प कर दिया गया| कोई हिंदी में बात करता तो लोग उसे गाली देने लगते|
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इस घटना से क्षुब्ध होकर शास्त्री जी ने अपना निर्णय बापस ले लिया और यह भी घोषणा कर दी कि जब तक भारत का एक भी राज्य हिंदी को राजभाषा बनाना नहीं चाहेगा तब तक हिंदी राजभाषा नहीं बनेगी| उस समय तमिलनाडू को छोड़कर अन्य सारे राज्य हिंदी के समर्थन में थे|
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कालान्तर में कई घटनाक्रम हुए, कई बार वहाँ की सरकार बर्खास्त भी हुई| DMK पार्टी केंद्र की सत्ता में भी भागीदार बनी| इनके मंत्री भी केंद्र में बने| इनकी बेटी और एक सम्बन्धी भ्रष्टाचार में लिप्त पाए गए और जेल की हवा भी खाई| कुल मिलाकर करूणानिधि ने तमिलनाडू पर सबसे अधिक राज किया|
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मैं इन का कभी भी प्रशंसक नहीं रहा और न ही हूँ| ये घोर हिन्दुद्रोही थे| हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों से इन्हें बड़ी चिढ़ थी| इनके परिवार वालों के नाम ही हिन्दू थे पर ये सब घोर नास्तिक थे| इन का रुझान ईसाईयत की ओर था| इन में या इन के परिवार में कोई ईमानदारी थी ऐसा कोई नहीं कह सकता|
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इन को मोक्ष प्राप्त हो ताकि ये संसार में बापस न आयें| श्रद्धांजलि ! सादर नमन !
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पुनश्चः : ये घोर रामद्रोही और ब्राह्मणद्रोही थे| हजारों ब्राह्मण परिवार इन की पार्टी के लोगों के कारण तमिलनाडू छोड़कर अन्यत्र चले गए|
संसार में रामद्रोह से बड़ा दूसरा अपराध नहीं है। श्रीराम को गाली देने से जिसकी राजनीति चालू और खत्म हुई ऐसे नीच व्यक्ति के लिए किसी हिन्दू के मन में सहानुभूति नहीं होनी चाहिए।
ReplyDeleteDMK का निर्माता पेरियार भारत का आज तक का सबसे ज्यादा जहरीला सर्प था, जिसने सीधा श्रीराम पर प्रहार किए और उनके बारे में ऐसी घटिया बातें लिखीं जिसे पढ़कर आप सिहर उठेंगे। ऐसे नीच लोग केवल धिक्कार के योग्य है।।
भारत को सशक्त होने से रोकने के लिए , हिंदी को राष्ट्रभाषा होने से रोकने के लिए , ब्राह्मण भगाओ आंदोलन चलाने के लिए , भगवान श्रीराम को लाखों लोगों के सामने गाली देने के लिए , सनातन धर्म का बहिष्कार करने के लिए , वामपंथी और ईसाई मिशनरियों को खुली छूट और न्यौता देने के लिए - भारत मे मात्र एक राक्षस पैदा हुआ जिसका नाम है DMK का संस्थापक पेरियार ।
DMK के इसी विचारधारा को , आंदोलन को करुणानिधि ने बढ़ाया ।
आज इसके मरने पर हमें सर्वाधिक खुश होना चाहिए ।
DMK ने ही उत्तर और दक्षिण भारत की खाई को पैदा किया , गहराया और कभी न खत्म होने वाली विषबेल बो गया ।
आशा करते हैं कि अब इस तरह के लोग धीरे धीरे खत्म हो जाएंगे ।🙏 साभार: प्रह्लाद दस पारीक
रामद्रोह से बड़ा कोई पाप नहीं है. रामद्रोही को नर्क में भी स्थान नहीं मिलता,
ReplyDeleteपता नहीं वह कहाँ कहाँ भटकता है.
हे राम ! रक्षा करो.