Thursday, 2 August 2018

आध्यात्मिक रूप से अपनी वाणी को तेजस्वी बनाने के लिए तीन नियम .....

आध्यात्मिक रूप से अपनी वाणी को तेजस्वी बनाने के लिए तीन नियम .....
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(१) समाज में जहाँ कहीं भी जाएँ, नाप-तोल कर कम से कम और सिर्फ आवश्यक, त्रुटिहीन व स्पष्ट शब्दों का ही प्रयोग पूरे आत्मविश्वास से करें| गपशप न करें, गपशप हमारे शब्दों को प्रभावहीन बनाती है|
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(२) आत्मनिंदा, आत्मप्रशंसा और परनिंदा से बचें| किसी की अनावश्यक प्रशंसा भी न करें| दूसरों द्वारा की गयी प्रशंसा और निंदा की ओर ध्यान न दें| किसी की भी बातों से व्यक्तिगत रूप से आहत न हों, और आल्हादित भी न हों|
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(३) परमात्मा की चेतना से बात करें| कुछ भी बोलते समय हमारी आतंरिक चेतना कूटस्थ में हो| अपनी बात को पूरे आत्मविश्वास से प्रस्तुत करें| बोलते समय यह भाव रखें कि स्वयं भगवान हमारी वाणी से बोल रहे हैं|
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उपरोक्त तीनों नियमों का ध्यान रहेगा तो लोग हमारी बात सुनेंगे, उस को याद रखेंगे और उस से प्रभावित भी होंगे|
ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
२४ जुलाई २०१८

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