Sunday 2 April 2017

गायत्री मन्त्र सर्वाधिक शक्तिशाली प्रार्थना है ........

गायत्री मन्त्र सर्वाधिक शक्तिशाली प्रार्थना है ........
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वर्षों पूर्व एक अमेरिकी वैज्ञानिक डा.होवार्ड स्टेन्गेरिल ने विश्व के सभी मतों के मंत्र और प्रार्थनाओं को एकत्र कर के उन पर अपनी प्रयोगशाला में एक विशेष प्रयोग कर के पाया था कि ... हिन्दुओं का वैदिक गायत्री मंत्र वैज्ञानिक रूप से सर्वाधिक प्रभावशाली है| गायत्री मन्त्र के उच्चारण से 110,000 ध्वनी की तरंगें प्रति क्षण उत्पन्न हुईं| ये सर्वाधिक थीं और इसे सबसे अधिक प्रभावशाली पाया गया|
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बाद में ऐसा ही एक प्रयोग जर्मनी के हेम्बर्ग विश्वविद्यालय में किया गया था और उन्होंने भी इसे सर्वश्रेष्ठ प्रार्थना पाया| जर्मनी ने गायत्री मन्त्र पर अपना कॉपी राईट भी करा लिया था| ध्वनी का मिश्रण, तरंगों की आवृतियों, और उनके मानसिक और भौतिक प्रभाव आदि पर अनेक प्रयोग कर के इसे सबसे अधिक प्रभावी पाया गया था|
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ऐसे प्रयोग भारत में भी होने चाहिएँ| यही नहीं सभी पंथों, मत-मतान्तरों की साधना पद्धतियों पर भी प्रयोग होने चाहियें कि कौन सी साधना पद्धति सर्वश्रेष्ठ है| आशा है एक ना एक ऐसा दिन अवश्य आयेगा|
मरने के बाद प्राणी की क्या गति होती है ? आदि आदि .... इस पर भी अनुसंधान होने चाहियें| क्या स्वर्ग-नर्क यानि जन्नत-दोज़ख वास्तविकता है या काल्पनिक .... इस सब पर भी खोज होनी चाहिए| वह दिन भी शीघ्र ही आयेगा|
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ॐ तत्सत् | ॐ ॐ ॐ ||

1 comment:

  1. आजकल जैसे जैसे ज्ञान का तीब्र गति से विस्तार हो रहा है, वैसे वैसे निष्पक्ष वैज्ञानिक दृष्टी से शोधात्मक प्रयोग होने चाहियें कि ....
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    (१) जितनी भी उपासना पद्धतियाँ हैं, उनमें सर्वश्रेष्ठ और सर्वाधिक प्रभावी कौन सी है ? इसके लिए आधार बनाया जा सकता है कौन सी साधना पद्धति से सर्वाधिक आनंद और सुख-शांति की प्राप्ति होती है ?
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    (२) मृत्यु के पश्चात आत्मा की किस प्रकार और क्या गति होती है ? क्या वास्तव में स्वर्ग और नर्क यानी जन्नत और दोज़ख का अस्तित्व है ? या फिर जन्नत की हकीकत एक दिल को बहलाने वाली या मुर्ख बनाने वाली ही बात है ?
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    (३) आत्मा की शाश्वतता और कर्म फलों की अवधारणा तर्क द्वारा तो समझाई जा सकती है, पर उस पर वैज्ञानिक शोधों की भी आवश्यकता है |
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    प्रत्येक मनुष्य को यह अधिकार होना चाहिए कि वह पूरी निष्ठा, ईमानदारी और विवेक से पूर्ण अध्ययन के पश्चात यह तय करे कि उसका मत, सम्प्रदाय या मज़हब कौन सा हो | यह आवश्यक नहीं हो कि जिस माँ-बाप के घर जन्म लिया हो, उनका मज़हब ही स्वयं का भी हो | यह निज विवेक से चुनने का अधिकार सभी को प्राप्त होना चाहिए | बलात् किसी भी लालच, भय या आतंक से किसी पर अपना मत थोपने की स्वतन्त्रता न हो |
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    ऐसा ही एक दिन शीघ्र ही आयेगा, यह मेरा विश्वास है | ॐ तत्सत | ॐ ॐ ॐ ||

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