हमारा मन एक बगीचा है .....
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जब हम कोई बगीचा लगाते हैं तो उसमें कंकर पत्थर नहीं डालते| हमारा मन भी एक बगीचा है जिस में हमने अपने विचारों, चिंतन और भावनाओं के सुन्दर वृक्ष लगा रखे हैं| इस बगीचे में अतिथि के रूप में हम परमात्मा को आमंत्रित कर रहे हैं, अतः इसे साफ़ सुथरा रखना हमारा परम दायित्व है| प्रातः उठते ही समाचार पत्र न पढ़ें| जितना आवश्यक हो उतना ही उन्हें मध्याह्न में पढ़ें| एक-दो चैनलों को कुछ समय के लिए अपवादस्वरूप छोड़कर टीवी पर सारे समाचार चैनल विष-वमन के अलावा कुछ भी नहीं करते| उनमें दिखाए जाने वाले वाद-विवाद यानि बहसें तो बहुत ही घटिया मानसिकता की होती हैं| उनसे बचें| फेसबुक और इन्टरनेट का भी नब्ब प्रतिशत तो दुरुपयोग ही हो रहा है| कोई दस प्रतिशत लोग ही इसका सदुपयोग कर रहे हैं| इसमें छाई अश्लीलता और कामुकता से बचें|
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भारत की अधिकाँश समाचार चैनलें और अंग्रेजी के समाचार पत्र विदेशी स्वामित्व के हैं जिनका उद्देश्य ही अपने विदेशी स्वामियों के भारत विरोधी उद्देश्यों को पूरा करना है| ये हमारे दिमाग में एक धीमा जहर डालने का कार्य कर रहे हैं| हमारी सारी प्रेस विदेशियों के हाथों बिकी हुई है|
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यदि आप एक आध्यात्मिक साधक हैं और अपने मस्तिष्क को स्वस्थ रखना चाहते हैं तो टीवी पर समाचार चैनलों के जहरीले व्याख्यान सुनने और अंग्रेजी के अखबार पढने तो बंद ही कर दीजिये| कुछ दिनों में आप पायेंगे कि आपको बहुत शांति मिल रही है| धन्यवाद|
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ॐ तत्सत् | ॐ ॐ ॐ ||
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जब हम कोई बगीचा लगाते हैं तो उसमें कंकर पत्थर नहीं डालते| हमारा मन भी एक बगीचा है जिस में हमने अपने विचारों, चिंतन और भावनाओं के सुन्दर वृक्ष लगा रखे हैं| इस बगीचे में अतिथि के रूप में हम परमात्मा को आमंत्रित कर रहे हैं, अतः इसे साफ़ सुथरा रखना हमारा परम दायित्व है| प्रातः उठते ही समाचार पत्र न पढ़ें| जितना आवश्यक हो उतना ही उन्हें मध्याह्न में पढ़ें| एक-दो चैनलों को कुछ समय के लिए अपवादस्वरूप छोड़कर टीवी पर सारे समाचार चैनल विष-वमन के अलावा कुछ भी नहीं करते| उनमें दिखाए जाने वाले वाद-विवाद यानि बहसें तो बहुत ही घटिया मानसिकता की होती हैं| उनसे बचें| फेसबुक और इन्टरनेट का भी नब्ब प्रतिशत तो दुरुपयोग ही हो रहा है| कोई दस प्रतिशत लोग ही इसका सदुपयोग कर रहे हैं| इसमें छाई अश्लीलता और कामुकता से बचें|
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भारत की अधिकाँश समाचार चैनलें और अंग्रेजी के समाचार पत्र विदेशी स्वामित्व के हैं जिनका उद्देश्य ही अपने विदेशी स्वामियों के भारत विरोधी उद्देश्यों को पूरा करना है| ये हमारे दिमाग में एक धीमा जहर डालने का कार्य कर रहे हैं| हमारी सारी प्रेस विदेशियों के हाथों बिकी हुई है|
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यदि आप एक आध्यात्मिक साधक हैं और अपने मस्तिष्क को स्वस्थ रखना चाहते हैं तो टीवी पर समाचार चैनलों के जहरीले व्याख्यान सुनने और अंग्रेजी के अखबार पढने तो बंद ही कर दीजिये| कुछ दिनों में आप पायेंगे कि आपको बहुत शांति मिल रही है| धन्यवाद|
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