Sunday, 2 April 2017

धन्य हैं वे लोग ..... भगवान जिनकी परीक्षा लेता है .....

धन्य हैं वे लोग ..... भगवान जिनकी परीक्षा लेता है .....
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मेरे प्रिय निजात्मगण, मेरा आप से अनुरोध है कि .....
> जीवन में चाहे कितनी भी बड़ी कठिनाई और असफलता हो, कभी भी उसे स्वीकार मत करो|
> कभी भूल से भी मन में मत सोचो कि ..... 'मैं विफल हो गया हूँ|'
> सदा यही सोचो कि .... 'मैं सफल हूँ और मेरी सफलता सदा सुनिश्चित है|'
> अपनी विफलता, सफलता, अवगुण और गुण ..... ये सब भगवान को बापस सौंप दो| यह जीवन एक परीक्षा है जिसमें अनिवार्य नहीं है कि हम सफल ही हों| धन्य हैं वे लोग --- भगवान जिनकी परीक्षा लेता है|..
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> रात्रि को सोते समय यह संकल्प करके सोओ की प्रातः इस देह में साक्षात परमात्मा ही जागेंगे|
> प्रातः उठते ही यह संकल्प गहराई से दोहराओ कि साक्षात परमात्मा ही इस देह में जागृत हुए हैं|
> फिर पूरे दिन यही संकल्प स्मृति में रखो कि .....
(1) इस मोटर साईकिल (आपकी देह) पर सवार साक्षात् प्रभुजी हैं| वे ही इसे चला रहे हैं| या
(2) इस वायुयान (आपकी देह) के चालक (पायलट) साक्षात परब्रह्म परमात्मा हैं|
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परमात्मा के अतिरिक्त अन्य कुछ भी नहीं है| न कोई आदि है, न मध्य, और और न कोई अंत| यह शरीर महाराज, मन महाराज और चेतना महारानी सब अपना अपना कार्य कर रहे हैं| हमारा अस्तित्व तो प्रभु के चरण कमल मात्र हैं| प्रभु चाहे जगन्माता हो या परमपिता ..... सब नाम रूपों से परे हैं|
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भगवान की भक्ति सब से बड़े छूत के रोग की तरह है जो लगने के पश्चात कभी नहीं छोडती| बीमार के संपर्क में आने वाले भी इस बीमारी से नहीं बच पाते| कठिन से कठिन परिस्थिति में भी भगवान की अनंत कृपा हम सब पर है|
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ॐ तत्सत् | ॐ नमः शिवाय | ॐ नमः शिवाय | ॐ नमः शिवाय |

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