Sunday 2 April 2017

नवरात्रों में फलाहार की दावत ......

जीवन में अब तक रोजा-इफ्तार की दावतों के बारे में ही सुना था जिन्हें देना और जिनमें वेश बदल कर सम्मिलित होना सभी हिन्दू नेता अपनी शान समझते थे| कल जीवन में पहली बार सुना कि नवरात्रों में किसी हिन्दू नेता द्वारा फलाहार की दावत भी दी जा सकती है, जिसे सुन कर भारत की समाचार मीडिया बौखलाई हुई है|
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जब भी अजमेर की दरगाह में उर्स होती है, तब सर्वोच्च से लेकर नीचे तक सारे राजनेता चादर चढाने भेजते हैं| क्या इन नेताओं ने श्रावण के पवित्र माह में कभी किसी शिवालय में शिवजी पर जल का एक लोटा भी चढ़ाया है या चढ़वाया है, या किसी देवालय में जाकर पूजा-अर्चना भी की है?
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अब जाकर पता चला है कि किसी नेता द्वारा शिव जी की आराधना भी की जा सकती है, माथे पर तिलक भी लगाया जा सकता है, और देवालयों में पूजा-अर्चना भी की जा सकती है|
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निश्चित रूप से विचारों में एक सकारात्मक परिवर्तन हो रहा है| ॐ ॐ ॐ ||
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पुनश्चः :---- सारे आतंकी पकिस्तान से आते हैं| पर पकिस्तान का नाम लेने से भारतीय मीडिया क्यों डरती है? वे पकिस्तान के स्थान पर "सीमा पार" शब्दों का प्रयोग करते हैं| उनमें यह कहने का साहस क्यों नहीं है कि जब तक पाकिस्तान का अस्तित्व है, भारत में कभी शान्ति नहीं हो सकती|

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