Wednesday, 12 October 2016

जिन खोजा तिन पाइयाँ गहरे पानी पैठ ........

जिन खोजा तिन पाइयाँ गहरे पानी पैठ ........
दोष डुबकी में है, महासागर में नहीं| जब हमें महासागर में मोती ही ढूँढने हैं तो वे समुद्र तट की रेत में लात मारने से नहीं मिलेंगे| उसके लिए समुद्र की गहराई में डुबकी लगानी होगी| जो गहरे पानी में उतरेंगे उन्हें ही मोती मिलेंगे, न कि ऊपरी सतह पर तैरने वालों को|
यदि मोती नहीं मिलते हैं तो इसमें सागर का क्या दोष है? दोष तो डुबकी में है|
परमात्मा को उपलब्ध होने के लिए भी स्वयं को गहराई में उतरना होगा| कोई दूसरा हमारे लिए यह कार्य नहीं कर सकता| किसी के पीछे पीछे भागने से कुछ नहीं होने वाला|
मात्र प्रवचन सुनने, मात्र ग्रंथों का अध्ययन करने या ऊँची ऊँची दार्शनिक बातों से कुछ नहीं होगा| आहुती स्वयं की ही देनी होगी|
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ॐ तत्सत् | ॐ ॐ ॐ ||

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