Wednesday, 12 October 2016

***** दशहरे की शुभ कामनाएँ ***** "सीता को पा कर ही हम रावण का नाश कर सकते हैं, और तभी राम से जुड़ सकते हैं" .....

***** दशहरे की शुभ कामनाएँ *****
"सीता को पा कर ही हम रावण का नाश कर सकते हैं,
और तभी राम से जुड़ सकते हैं" .....
---------------------------------
हमारा प्रथम, अंतिम और एकमात्र शत्रु कहीं बाहर नहीं, हमारे भीतर ही अवचेतन मन में छिपा बैठा विषय वासना रुपी रावण है|
हमारे ह्रदय के एकमात्र राजा राम हैं| उन्होंने ही सदा हमारी ह्रदय भूमि पर राज्य किया है, और सदा वे ही हमारे राजा रहेंगे| अन्य कोई हमारा राजा नहीं हो सकता| वे ही हमारे परम ब्रह्म हैं|
हमारे ह्रदय की एकमात्र महारानी सीता जी हैं| वे हमारे ह्रदय की अहैतुकी परम प्रेम रूपा भक्ति हैं| वे ही हमारी गति हैं| वे ही सब भेदों को नष्ट कर हमें राम से मिला सकती हैं| अन्य किसी में ऐसा सामर्थ्य नहीं है|
.
हमारी पीड़ा का एकमात्र कारण यह है कि हमारी सीता का रावण ने अपहरण कर लिया है| हम सीता को अपने मन के अरण्य में गलत स्थानों पर ढूँढ रहे हैं और रावण के प्रभाव से दोष दूसरों को दे रहे हैं, जब कि कमी हमारे प्रयास की है| यह मायावी रावण ही हमें भटका रहा है| सीता जी को पा कर ही हम रावण का नाश कर सकते हैं, और तभी राम से जुड़ सकते हैं|
.
राम से एकाकार होने तक इस ह्रदय की प्रचंड अग्नि का दाह नहीं मिटेगा, और राम से पृथक होने की यह घनीभूत पीड़ा हर समय निरंतर दग्ध करती रहेगी| राम ही हमारे अस्तित्व हैं और उनसे एक हुए बिना इस भटकाव का अंत नहीं होगा| उन से जुड़कर ही हमारे वेदना का अंत होगा और तभी हम कह सकेंगे ..... "शिवोSहं शिवोSहं अहं ब्रह्मास्मि"|
= कृपा शंकर =
.
पुनश्चः .... इस राष्ट्र में धर्म रूपी बैल पर बैठकर भगवान शिव ही विचरण करेंगे, और भगवान श्रीकृष्ण की ही बांसुरी बजेगी जो नवचेतना को जागृत करेगी| सनातन धर्म की पुनर्प्रतिष्ठा होगी व असत्य और अन्धकार की शक्तियों का निश्चित रूप से नाश होगा| ॐ तत्सत् | ॐ ॐ ॐ ||
= कृपा शंकर =
October 11, 2014

No comments:

Post a Comment