३१ अक्टूबर को पश्चिमी ईसाई देशों में मनाये जाने वाला Halloween का त्यौहार यदि भारत में भी अंग्रेजों के कुछ मानस पुत्र मनाते हैं तो यह एक फूहड़ता के अतिरिक्त और कुछ भी नहीं है| यह अंधविश्वास की पराकाष्ठा है| यह भूतों को भगाने का त्यौहार है| कुछ लोग भूतों के से कपड़े पहिनते हैं और कुछ लोग उनसे भी अधिक डरावने कपड़े पहिन कर भूतों को डरा कर भगाते हैं| ऐसी कुरीतियों से मन में गलत संस्कार पड़ते हैं| अब तो इस कुत्सित त्योहार पर होने वाली सेक्स पार्टियों ने घोर यौन-पतन और मनोरोग का रूप ले लिया है।
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गोवा में एक बार अपने कुछ रोमन कैथोलिक मित्रों से बात कर रहा था तो उन्होंने बताया कि वे लोग रात में भोर होने तक घर से बाहर तब तक नहीं निकलते जब तक कि चर्च की घंटियाँ नहीं बजतीं। उनके अनुसार आधी रात के बाद से सडकों पर उन हिन्दुओं के भूत घूमते हैं जिन की पुर्तगालियों ने ह्त्या की थी। वे भूत प्रातः चर्च की घंटी की आवाज़ सुनकर भाग जाते हैं।
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पश्चिमी जगत में और भारतीय अंग्रेजों के मानसपुत्रों में जितना ढोंग और अंधविश्वास है, उसके सामने तो सही भारतीयों में कुछ है ही नहीं।
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