Thursday, 30 October 2025

अपना एक हाथ भगवान को थमा दो; भगवान हमारे दोनों हाथों को पकड़ कर हमारा उद्धार कर देंगे ---

 अपना एक हाथ भगवान को थमा दो; भगवान हमारे दोनों हाथों को पकड़ कर हमारा उद्धार कर देंगे| हमारे जीवन में हमारी चाहे लाखों भूलें हों, यदि हम सत्यनिष्ठा से सुधरना चाहें तो भगवान हमारी हिमालय जितनी बड़ी-बड़ी लाखों भूलों को भी क्षमा कर देते हैं| अपना बुरा-भला सब कुछ भगवान को सौंप दो और उन्हीं के होकर रह जाओ|

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"उद्धरेदात्मनाऽऽत्मानं नात्मानमवसादयेत्| आत्मैव ह्यात्मनो बन्धुरात्मैव रिपुरात्मनः||६:५||"
मनुष्य को अपने द्वारा अपना उद्धार करना चाहिये और अपना अध: पतन नहीं करना चाहिये; क्योंकि आत्मा ही आत्मा का मित्र है और आत्मा (मनुष्य स्वयं) ही आत्मा का (अपना) शत्रु है||
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"सर्वधर्मान्परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज| अहं त्वा सर्वपापेभ्यो मोक्षयिष्यामि मा शुचः||१८:६६||"
सब धर्मों का परित्याग करके तुम एक मेरी ही शरण में आओ, मैं तुम्हें समस्त पापों से मुक्त कर दूँगा, तुम शोक मत करो| .
हे जगन्माता, रक्षा करो| बालक विष्ठा में पड़ा होता है तब माँ ही उसे उज्ज्वल कर सकती है| अपने आप तो वह कभी स्वच्छ हो नहीं सकता| यह सांसारिकता भी किसी विष्ठा से कम नहीं है| हम ने तो कहा नहीं था कि आप हमें इस माया-मोह में डालो| आप ने ही "बलादाकृष्य मोहाय, महामाया प्रयच्छति" यानि बलात् आकर्षित कर के इस माया-मोह रूपी घोर नर्ककुंड में डाला| अब आप को ही हमें मुक्त करना होगा| हमारा सामर्थ्य आप ही हो| हमारे में स्वयं में कोई सामर्थ्य नहीं है| बड़ी बड़ी बातें, बड़ा बड़ा ज्ञान अब हमें अच्छा नहीं लगता| हमें सिर्फ आपका प्रेम चाहिए, और कुछ भी नहीं| आपका प्रेम ही हमारा मोक्ष है, वही हमारी मुक्ति है| आपके पूर्णप्रेम के अतिरिक्त हमें और कुछ ही नहीं चाहिए| हम आपकी शरणागत हूँ| हमारा कल्याण करो, हमारी निरंतर रक्षा करो| कृपा शंकर ३० अक्तूबर २०१९

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