Thursday, 30 October 2025

मानित्व (स्वयं में श्रेष्ठता का भाव), और दम्भित्व (झूठा दिखावटीपन) - ये दोनों पतन के मार्ग हैं ---

 मानित्व (स्वयं में श्रेष्ठता का भाव), और दम्भित्व (झूठा दिखावटीपन) - ये दोनों पतन के मार्ग हैं। "मैं कुछ हूँ" -- का भाव निश्चित रूप से पतन के गर्त में धकेल देगा।

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यह शरीर एक मोटर साइकिल मात्र है जो हमें लोकयात्रा के लिए मिली हुई है। इसकी देखभाल भी आवश्यक है, लेकिन हम यह मोटर साइकिल नहीं हैं।
सारा ब्रह्मांड हमारा शरीर है, और हमारे माध्यम से भगवान स्वयं को व्यक्त कर रहे हैं। अपनी पृष्ठभूमि में निरंतर अपने इष्टदेव को रखिये। वे ही कर्ता हैं, हम तो निमित्त मात्र हैं।
विश्व का घटनाक्रम इस समय अकल्पनीय गति से परिवर्तित हो रहा है। कुछ भी कभी भी हो सकता है। अपने स्वधर्म को न भूलें, उसका पालन करते रहें, व परमात्मा की चेतना में रहें। फिर चाहे पूरा ब्रह्मांड टूट कर बिखर जाये, हमारा कोई अहित नहीं होगा।
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गीता के १३वें अध्याय का आज के दिन एक बार अर्थ को समझते हुए पाठ अवश्य कीजिये। बहुत अधिक लाभ होगा जिसकी आप कल्पना भी नहीं कर सकते।
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ॐ तत्सत् !! ॐ ॐ ॐ !!
३१ अक्तूबर २०२१

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