सनातन-धर्म अमर है, यह कभी नष्ट नहीं हो सकता, क्योंकि यह उन सत्य सनातन सिद्धांतों पर आधारित है, जिनसे यह सृष्टि चल रही है ---
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कभी कभी मैं नकारात्मक और निराश हो जाता हूँ, पर परमात्मा की कृपा मुझे सदा बचा लेती है। कुछ दिनों पूर्व मैंने लिखा था कि मनुष्य जाति की चेतना इस समय उत्तरोत्तर सकारात्मक ऊर्ध्व दिशा में विस्तृत हो रही है। जिस दिन पुनर्जन्म और कर्मफलों का सिद्धान्त आधुनिक विज्ञान-सम्मत हो जाएगा, उसी दिन से तमोगुणी कलियुगी मत-मतांतर ध्वस्त होने आरंभ हो जाएँगे, और सनातन-धर्म की पुनर्प्रतिष्ठा और वैश्वीकरण आरंभ हो जाएगा।
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सनातन-धर्म कभी नष्ट नहीं हो सकता, क्योंकि यह इस सनातन सत्य पर आधारित है कि प्रत्येक जीवात्मा शाश्वत है, और अपने कर्मफलों को भोगने के लिए बारंबार नूतन जन्म लेती है। प्रत्येक आत्मा की अभीप्सा परमात्मा को पाने की होती है। परमात्मा को पाने का यानि भगवत्-प्राप्ति का मार्ग सिर्फ सनातन-धर्म ही बताता है। वास्तव में भगवत्-प्राप्ति ही सनातन धर्म है। परमात्मा से अहैतुकी परम-प्रेम यानि भक्ति और समर्पण की शिक्षा सिर्फ सनातन धर्म ही देता है। सनातन धर्म ही पूरी सृष्टि को अपना परिवार मानता है।
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यह सृष्टि भगवान की है, जिसे उनकी प्रकृति अपने नियमानुसार चला रही है। भगवान का दिया हुआ वचन है कि वे धर्म का अभ्युत्थान और अधर्म का नाश करेंगे। उनकी दी हुई शक्ति को जागृत कर हम स्वधर्म का सत्यनिष्ठा से पालन करते रहें, और निमित्त मात्र बनकर, अधर्म का प्रतिकार करते हुए अपनी रक्षा करने में समर्थवान बनें।
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ॐ तत्सत् !!
३० अक्तूबर २०२१
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