Thursday, 30 October 2025

विश्व में शांति कैसे स्थापित हो? ---

 विश्व में शांति कैसे स्थापित हो? --- (भाग १)

.
इस पृथ्वी पर सत् तत्व का अभाव है, और द्वन्द्वात्मक सृष्टि है, इसलिए यहाँ कभी शांति स्थापित नहीं हो सकती। यहाँ हम एक पाठ सीखने के लिये आते हैं। वह पाठ निरंतर पुनरावृत होता रहता है। जितना शीघ्र उस पाठ को सीख लें उतना ही अच्छा है, अन्यथा हम उस पाठ को सीखने के लिए बाध्य कर दिये जाते हैं।
.
द्वंद्व से ऊपर अद्वैत में हमें जागृत होना होगा। सर्वप्रथम तो यह समझना होगा कि हम यह नश्वर शरीर नहीं, एक शाश्वत आत्मा हैं। फिर यह समझना होगा कि हम अपने कर्मफलों को भोगने के लिए ही बार बार जन्म लेते हैं। हमारे कर्म क्या हैं? हमारे विचार, हमारी आकांक्षाएँ, हमारा लोभ, और हमारा अहंकार -- ही हमारे कर्म हैं जो हमें पाशों में बांधते हैं। जब तक हम इन पाशों में बंधे हैं, तब तक पशु ही हैं। जब तक हमारा आचरण पाशविक है, तब तक कैसा सुख और कैसी शांति?
.
हम कितना भी स्वस्ति-वाचन कर लें, लेकिन शांति एक दुःस्वप्न ही बनी रहती है।
ॐ द्यौ: शान्तिरन्तरिक्ष शान्ति:
पृथिवी शान्तिराप: शान्तिरोषधय: शान्ति:।
वनस्पतय: शान्तिर्विश्वेदेवा: शान्तिर्ब्रह्म शान्ति:
सर्वं शान्ति:, शान्तिरेव शान्ति: सा मा शान्तिरेधि॥
ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति:॥
.
श्रीमद्भगवद्गीता का सांख्य-योग नामक द्वितीय अध्याय इस विषय पर स्पष्ट प्रकाश डालता है। पहले हमें निज जीवन में शांति स्थापित करनी होगी। वह कैसे करें? इसी समय भगवान श्रीकृष्ण की शरण लें और उन्हें निज जीवन में अवतरित करें। गीता के सांख्य-योग का स्वाध्याय करें। उसे समझ कर पूरी गीता का स्वाध्याय करें। निज जीवन में शांति आएगी तभी समाज में, राष्ट्र में, और विश्व में शांति स्थापित होगी। इस द्वन्द्वात्मक सृष्टि से ऊपर हमें उठना होगा।
.
ॐ तत्सत् !! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
३१ अक्तूबर २०२३
>
पुनश्च: ----
विश्व में शांति कैसे स्थापित हो? (भाग२)
.
इस विषय पर देश-विदेश में अनेक मज़हबी/रिलीजियस विचारकों से मेरी चर्चा हुई है।
(१) लगभग सभी इस्लामिक विचारकों ने कहा कि इस्लाम ही एकमात्र मानव धर्म है। यदि धरती पर रहने वाले सभी इंसान अल्लाह के पैगंबर में ईमान ले आयें तभी विश्व शांति स्थापित हो सकती है। सभी का कहना था कि सबसे पहिले हम अच्छे इंसान बनें। अच्छे इंसान का अर्थ है कि हम उन के अनुयायी बनें, अन्यथा हम अच्छे इंसान नहीं हैं। सिर्फ ईमान वाले अच्छे इंसान ही जन्नत में जाएँगे। बाकी सब को दोज़ख की आग में भुनना पड़ेगा।
.
(२) ईसाई मत के विभिन्न संप्रदायों के अनेक पादरियों से विदेशों में मेरी खूब बातचीत हुई है। सभी पादरियों ने ही यह कहा कि हम स्वयं को पापी मानें और परमात्मा के एकमात्र पुत्र में विश्वास करें, तभी पृथ्वी पर सुख-शांति स्थापित हो सकती है, अन्यथा नहीं। एक बार एक पादरी मुझे देखकर बहुत उदास हो गया। मैंने उससे उसकी उदासी का कारण पूछा तो उसने कहा कि तुम इतने अच्छे आदमी हो, लेकिन कयामत के दिन तुम नर्क की शाश्वत अग्नि में तड़फाये जाओगे। उसने कहा कि ईसा मसीह खुद गवाही देंगे कि किस किस व्यक्ति ने उन पर विश्वास किया। जिन के बारे में वे स्वयं गवाही देंगे, सिर्फ उनको ही स्वर्ग में जाने दिया जाएगा। बाकी सब नर्क की अग्नि में तड़फाये जाएँगे।
.
(३) भारत के धर्मनिरपेक्ष सेकुलर मार्क्सवादी सभी भारतियों को मूर्ख समझते हैं। वे सिखाते है कि --
सभी धर्म एक समान हैं। सभी में एक ही बात लिखी है। कोई भी मजहब आपस में वैर करना नहीं सिखाता। जो बात गीता में लिखी है, वही कुरान में और बाइबिल में लिखी है। सभी धर्म-ग्रन्थों में एक ही बात है। आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता।
अंततः वे एक ही बात पर आ जाते हैं कि सारे धर्म एक अफीम का नशा है। अतः सब धर्मों को छोड़कर धर्मनिरपेक्ष सेकुलर बन जाओ। मार्क्सवाद में तो ईश्वर में आस्था रखना एक ऐसा भयंकर अपराध है जिसकी सजा मृत्यु दंड है।
.
मुझे लगता है कयामत के दिन बहुत अधिक शोरगुल होगा, और खुद का नंबर आते आते ही पता नहीं कितने वर्ष लग जाएँगे। लाखों वर्षों से कब्र में पड़े हुए इंसान उठेंगे और लाइन में लग जाएँगे। लेकिन फिर भी कुछ लोग ऐसे है जो अपनी कब्रों में आराम से सो रहे होंगे। उर्दू के प्रसिद्ध शायर मीर ने लिखा है --
"हम सोते ही न रह जावें ऐ शोर-ए-क़यामत
इस राह से निकलो तो हम को भी जगा जाना"
.
आजकल महँगी से महँगी शराब पीते हुए हुए वातानुकूलित कमरों में ईश्वर पर चर्चा करना फैशन है। हो गया है। लेकिन मैं इस फैशन से दूर हूँ। यही नहीं, आजकल लोग सब तरह के पाप जैसे जूआ, परस्त्री/पुरुष गमन, घूसख़ोरी व चोरी करते हुए भी भगवान से सहायता मांगते हैं।
वर्तमान समाज में मैं स्वयं को अपात्र (Misfit) पाता हूँ। आप सब ने यह लेख पढ़ा, जिस के लिए आपको धन्यवाद ॥ ॐ तत्सत् !!
कृपा शंकर
१ नवंबर २०२३

No comments:

Post a Comment