भगवान के सर्वव्यापी ज्योतिर्मय रूप के ध्यान से असत्य और अज्ञान का सारा अंधकार नष्ट हो जाता है। जहाँ भगवान से अनन्य प्रेम है, वहाँ अंधकार नहीं हो सकता। वे स्वयं ज्योतिर्मय हैं।
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रात्री को सोने से पूर्व बिस्तर पर ही सीधे बैठकर कम से कम आधे या एक घंटे तक परमात्मा का ध्यान या जप करें, और निश्चिन्त होकर जगन्माता की गोद में ऐसे सो जाएँ जैसे एक छोटा बालक अपनी माँ की गोद में सोता है। प्रातःकाल उठते ही थोड़ा जल पीएँ और लघुशंकादि से निवृत होकर फिर आधे या एक घंटे तक जैसा ऊपर बताया है वैसे ही परमात्मा का ध्यान या जप करें। पूरे दिन परमात्मा की स्मृति अपने चित्त में बनाए रखें। यदि भूल जाएँ तो याद आते ही फिर उस स्मृति को अपनी चेतना में स्थापित करें। एक बात याद रखें कि हम जो कुछ भी कर रहे हैं, वह स्वयं परमात्मा ही अनुग्रह कर के हमारे माध्यम से कर रहे हैं। ऐसा कोई काम न करें जो भगवान को प्रिय न हो। धीरे धीरे भगवान स्वयं ही हमारे माध्यम से कार्य करना आरम्भ कर देंगे।
कृपा शंकर
२५ दिसंबर २०२३
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