दो अति महान व्यक्तित्व जिनकी तत्कालीन शासकों ने उनकी सत्यनिष्ठ विचारधारा के कारण सदा उपेक्षा ही की, और वे बिना किसी सरकारी मान्यता के Unsung Heros की तरह हमारे मध्य से चले गए ---
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(१) मेरी दृष्टि में इस शताब्दी में वैदिक परंपरा के महानतम दार्शनिक -- स्व.श्री रामस्वरूप अग्रवाल (१९२० - २६ दिसंबर १९९८) थे। उनसे बड़ा कोई दार्शनिक भारत में पिछली एक शताब्दी में कोई दूसरा नहीं हुआ। वे अपने नाम के साथ अग्रवाल नहीं लिखते थे, सिर्फ रामस्वरूप ही लिखते थे। उनका जन्म सं १९२९ में हरियाणा के सोनीपत में एक गर्ग गौत्रीय अग्रवाल परिवार में हुआ था। वे जीवन भर अविवाहित रहे। दिल्ली में उन्होंने अर्थशास्त्र का अध्ययन किया, लेकिन सारा जीवन धर्म, ज्ञान, और सामाजिक चिंतन में ही व्यतीत किया। वे एक बहुत ही उच्च स्तर के महान योगसाधक भी थे।
उनका निधन २६ दिसंबर १९९८ को हुआ। आज उनकी २४ वीं पुण्यतिथि पर उनको सादर नमन और श्रद्धांजलि।
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उनके प्रमुख शिष्य श्री सीताराम गोयल (१६ अक्टूबर १९२१ - ३ दिसंबर २००३) थे, जिन्हें मैं इस शताब्दी का महानतम इतिहासकार कहता हूँ। इनका जन्म भी हरियाणा में हुआ था। सन १९५१ से १९९८ तक श्री सीताराम गोयल ने ३० से अधिक पुस्तकें और सैंकड़ों लेख लिखे। बेल्जियन विद्वान कोएनराड एल्स्ट ने लिखा है कि गोयल की बातों का या उनकी पुस्तकों में दिए तथ्यों का आज तक कोई खंडन नहीं कर सका है।
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वर्तमान में भारतीयता के प्रति जो इतनी सजगता देखने में आ रही है, उसका श्रेय मैं श्री गोयल के लेखन को देता हूँ। वे एक महान कर्मयोगी थे। दिल्ली में उन्होंने "वॉयस ऑफ इंडिया" नाम के प्रकाशन की स्थापना की, जो अभी भी चल रहा है। उपरोक्त दोनों महान विभूतियों का साहित्य वहीं पर उपलब्ध है।
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श्री रामस्वरूप जी का पुण्य स्मरण स्वयं में एक पुण्य कर्म है। उन्हें शत शत नमन।
ॐ तत्सत् !!
कृपा शंकर
२६ दिसंबर २०२२
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