भगवान के भजन के लिए यह मौसम बहुत अच्छा है (बुढ़ापा सबसे खराब चीज है)
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"दुनिया भी अजब सराय फानी देखी,
हर चीज यहां की आनी जानी देखी।
जो आके ना जाये वो बुढ़ापा देखा,
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पिछले दो दिनों से बड़ी भयंकर शीत-लहर चल रही है। बाहर बर्फीली हवाएँ चल रही हैं। पहाड़ों में बर्फ गिरती है तो भौगोलिक कारणों से उनकी शीत लहर सीधी इधर ही आती है।
Electric Room Heater का उपयोग शयन कक्ष में करना पड़ रहा है। इटली की हमारी एक सत्संगी बहिन ने एक बिजली से गरम होने वाली गद्दी भी भेज रखी है, जिसे बिस्तर की चद्दर के नीचे लगाते ही बिस्तर गरम हो जाता है। बुढ़ापे में सर्दी सहन नहीं होती। यह बुढ़ापा बहुत खराब चीज है।
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यमराज भी सर्दी के मौसम में ही बड़े-बूढ़ों पर अपनी परम कृपा करते हैं। अभी उनकी कृपा नहीं चाहिए। कुछ भजन-बंदगी-साधना-तपस्या तो की ही नहीं है, इसलिए यम महाराज का यहाँ क्या काम? जब भगवान के भजनों से हृदय तृप्त हो जाएगा, तब भगवान के संकेत मात्र से यह संसार छोड़ देंगे। यमराज महाराज इधर आने का कष्ट न उठायें। वैसे भी उनका यहाँ स्वागत नहीं है -- "चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः॥"
चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर पाहि माम्।
चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर रक्ष माम्॥
रत्नसानुशरासनं रजताद्रिश्रृङ्गनिकेतनं
शिञ्जिनीकृतपन्नगेश्वरमच्युतानलसायकम् ।
क्षिप्रदग्धपुरत्रयं त्रिदशालयैरभिवन्दितं
चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः।।"
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दिन-रात भगवान का चिंतन हो। अन्य कोई बात चेतना में न रहे। तब बाहर के मौसम से कोई अंतर नहीं पड़ेगा। भगवान का चिंतन करते करते ही उनकी चेतना में ब्रह्मरंध्र के मार्ग से सूर्यमंडल में एक दिन गमन हो जायेगा।
ॐ तत्सत् !! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
२६ दिसंबर २०२२
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