Wednesday, 25 December 2024

ईसा मसीह नाम का कोई व्यक्ति हुआ ही नहीं, यह रोमन राज्य द्वारा गढ़ी हुई कहानी है --- (लेखक : श्री अरुण कुमार उपाध्याय)

 क्रिसमस का अर्थ -- इसका ईसा मसीह से कोई सम्बन्ध नहीं है। आज कल कई इसाई लेखक मानते हैं कि इसा मसीह जैसा कोई व्यक्ति नहीं था, यह रोमन राज्य द्वारा गढ़ी हुई कहानी थी। कई बातें भगवान् कृष्ण की कथाओं से नकल की गयी हैं, जैसे हेरोद के शासन में छोटे बच्चों की हत्या। आज कल भारत में जन्माष्टमी की नकल पर ईसा जन्मदिन भी मना रहे हैं। जो ईसा को वास्तविक व्यक्ति मानते हैं, उनके अनुसार ईसा का जन्म ४ ई.पू. से पहले हुआ, किन्तु दिसम्बर नहीं मार्च या अप्रैल में। तुर्की के अंकारा के रोमन पुरालेख के अनुसार बाइबिल वर्णित हेरोद की मृत्यु १ ई. से कम से कम ४ वर्ष पूर्ब हो चुकी थी, जिसने बच्चों को मारने का आदेश दिया था। हेरोद के लिए कंस जैसा कोई कारण नहीं था। पर यदि उस समय ईसा पैदा हुए थे तो वह ४ ई.पू. के पहले हुए थे। ईसवी सन् का प्रचलन प्रायः ५३० ई. से आरम्भ हुआ तथा इसका आरम्भ ५३० वर्ष पूर्व कर दिया जब कुछ लोगों के अनुसार ईसा का जन्म हुआ था। (History of Calendar-Report of Panchanga Committe, part 3-pages 168, 170)।

यह कैलेण्डर जुलियस सीजर द्वारा ई.पू. ४६ में आरम्भ हुआ था जिसके लिए उसे मिस्र के ज्योतिषियों ने समझाया था कि ३६५ दिन का वर्ष हो तथा प्रति ४ वर्ष में १ दिन अधिक जोड़ा जाय। सीजर का आदेश था कि उत्तरायण आरम्भ से वर्ष आरम्भ हो जिसे सूर्य सिद्धान्त में देवताओं का वर्ष कहा गया है। उत्तरायण से आरम्भ सौर वर्ष को दिव्य दिन कहते हैं, जिसे लोकभाषा में बड़ा दिन कहा जाता है। किन्तु रोम के लोगों ने उत्तरायण के ७ दिन बाद वर्ष का आरम्भ किया जिस दिन विक्रम संवत् १० (गत) का पौष मास आरम्भ हो रहा था। अतः इस कैलेण्डर में उत्तरायण आरम्भ का दिन १ जनवरी के बदले २५ दिसम्बर हो गया। उसके बाद वर्ष गणना में अशुद्धियों के कारण अभी २२ दिसम्बर से उत्तरायण आरम्भ हो रहा है। ३१३९ ई.पू. में महाभारत युद्ध समाप्ति के ५० दिन बाद उत्तरायण आरम्भ हुआ था जिस दिन भीष्म पितामह ने देह त्याग किया। उस दिन माघ शुक्ल अष्टमी थी। मास का ३/४ भाग बाकी था, तथा गणना के अतिरिक्त वास्तव में शुक्ल पक्ष कहा जा सकता था। सायन मास गणना में जब सूर्य धनु राशि के अन्त में होगा तब उत्तरायण होता है। उस समय मार्गशीर्ष मास होगा तथा उत्तर गोलार्ध में सबसे बड़ी रात होगी। अतः मार्गशीर्ष को कृष्णमास कहते थे जो क्रिसमस शब्दा का मूल है। मासानां मागशीर्षोऽहं (गीता, १०/३५)। ३ मुख्य आदित्य हैं-मित्र, वरुण, अर्यमा। १२ मास के लिए १२ आदित्यों की अलग सूची है। ३ आदित्यों में सबसे निकट सौरमण्डल का आदित्य मित्र है क्योंकिनिकट के व्यक्ति को मित्र कहते हैं। वरुण तथा अर्यमा ब्रह्माण्ड, पूर्ण विश्व के आदित्य हैं (जिस रूप से इन रचनाओं का आदि हुआ था। अतः वर्ष आरम्भ में मित्र रूप सान्ता क्लाज आता है। यहां सन्त (सान्ता) का अर्थ दयालु नहीं है, बल्कि ईसाइयत का प्रचार करने वाला है जिसके लिये सन्त (?) जेवियर ने गोआ में २ लाख से अधिक लोगों की क्रूरता पूर्वक हत्या की थी। यहां सान्ता क्लाज भी भारतीय सन्तों की नकल है।
क्रिसमस का अर्थ-इसका ईसा मसीह से कोई सम्बन्ध नहीं है। आज कल कई इसाई लेखक मानते हैं कि इसा मसीह जैसा कोई व्यक्ति नहीं था, यह रोमन राज्य द्वारा गढ़ी हुई कहानी थी। कई बातें भगवान् कृष्ण की कथाओं से नकल की गयी हैं, जैसे हेरोद के शासन में छोटे बच्चों की हत्या। आज कल भारत में जन्माष्टमी की नकल पर ईसा जन्मदिन भी मना रहे हैं। जो ईसा को वास्तविक व्यक्ति मानते हैं, उनके अनुसार ईसा का जन्म ४ ई.पू. से पहले हुआ, किन्तु दिसम्बर नहीं मार्च या अप्रैल में। तुर्की के अंकारा के रोमन पुरालेख के अनुसार बाइबिल वर्णित हेरोद की मृत्यु १ ई. से कम से कम ४ वर्ष पूर्ब हो चुकी थी, जिसने बच्चों को मारने का आदेश दिया था। हेरोद के लिए कंस जैसा कोई कारण नहीं था। पर यदि उस समय ईसा पैदा हुए थे तो वह ४ ई.पू. के पहले हुए थे। ईसवी सन् का प्रचलन प्रायः ५३० ई. से आरम्भ हुआ तथा इसका आरम्भ ५३० वर्ष पूर्व कर दिया जब कुछ लोगों के अनुसार ईसा का जन्म हुआ था। (History of Calendar-Report of Panchanga Committe, part 3-pages 168, 170)।
यह कैलेण्डर जुलियस सीजर द्वारा ई.पू. ४६ में आरम्भ हुआ था जिसके लिए उसे मिस्र के ज्योतिषियों ने समझाया था कि ३६५ दिन का वर्ष हो तथा प्रति ४ वर्ष में १ दिन अधिक जोड़ा जाय। सीजर का आदेश था कि उत्तरायण आरम्भ से वर्ष आरम्भ हो जिसे सूर्य सिद्धान्त में देवताओं का वर्ष कहा गया है। उत्तरायण से आरम्भ सौर वर्ष को दिव्य दिन कहते हैं, जिसे लोकभाषा में बड़ा दिन कहा जाता है। किन्तु रोम के लोगों ने उत्तरायण के ७ दिन बाद वर्ष का आरम्भ किया जिस दिन विक्रम संवत् १० (गत) का पौष मास आरम्भ हो रहा था। अतः इस कैलेण्डर में उत्तरायण आरम्भ का दिन १ जनवरी के बदले २५ दिसम्बर हो गया। उसके बाद वर्ष गणना में अशुद्धियों के कारण अभी २२ दिसम्बर से उत्तरायण आरम्भ हो रहा है। ३१३९ ई.पू. में महाभारत युद्ध समाप्ति के ५० दिन बाद उत्तरायण आरम्भ हुआ था जिस दिन भीष्म पितामह ने देह त्याग किया। उस दिन माघ शुक्ल अष्टमी थी। मास का ३/४ भाग बाकी था, तथा गणना के अतिरिक्त वास्तव में शुक्ल पक्ष कहा जा सकता था। सायन मास गणना में जब सूर्य धनु राशि के अन्त में होगा तब उत्तरायण होता है। उस समय मार्गशीर्ष मास होगा तथा उत्तर गोलार्ध में सबसे बड़ी रात होगी। अतः मार्गशीर्ष को कृष्णमास कहते थे जो क्रिसमस शब्दा का मूल है। मासानां मागशीर्षोऽहं (गीता, १०/३५)। ३ मुख्य आदित्य हैं-मित्र, वरुण, अर्यमा। १२ मास के लिए १२ आदित्यों की अलग सूची है। ३ आदित्यों में सबसे निकट सौरमण्डल का आदित्य मित्र है क्योंकिनिकट के व्यक्ति को मित्र कहते हैं। वरुण तथा अर्यमा ब्रह्माण्ड, पूर्ण विश्व के आदित्य हैं (जिस रूप से इन रचनाओं का आदि हुआ था। अतः वर्ष आरम्भ में मित्र रूप सान्ता क्लाज आता है। यहां सन्त (सान्ता) का अर्थ दयालु नहीं है, बल्कि ईसाइयत का प्रचार करने वाला है जिसके लिये सन्त (?) जेवियर ने गोआ में २ लाख से अधिक लोगों की क्रूरता पूर्वक हत्या की थी। यहां सान्ता क्लाज भी भारतीय सन्तों की नकल है।

1 comment:

  1. आज कई महत्वपूर्ण दिन हैं .....
    (१) आज परम्परागत रूप से गुरु गोबिंदसिंह जी महाराज की जयंती है| ये एक अवतारी महापुरुष थे| हम सब इन के ऋणी हैं|
    (२) आज दिनान्कानुसार (२५-१२-१८६१) महामना मदनमोहन मालवीय जी की जयंती है| इनके भी हम ऋणी हैं|
    (३) आज स्वामी विवेकानंद का संकल्प दिवस भी है| २५ दिसंबर १८९२ का दिन था| स्वामी विवेकानंद भारत माता की तत्कालीन दशा से अत्यधिक क्षुब्ध और व्यथित थे| उन्हें बहुत पीड़ा हो रही थी| ईश्वर से बस यही जानना चाहते कि पुण्यभूमि भारत का पुनः उत्थान कैसे हो| उस समय वे तमिलनाडु के दक्षिणी छोर पर कन्याकुमारी में थे| अभीप्सा की प्रचंड अग्नि उनके ह्रदय में जल रही थी| उनसे और रहा नहीं गया और उन्होंने समुद्र में छलांग लगा ली और प्राणों की बाजी लगाकर उथल पुथल भरे समुद्र की लहरों में तैरते हुए दूर एक बड़े शिलाखंड पर चढ़ गए| उनके ह्रदय में बस एक ही भाव था कि भारत का उत्थान कैसे हो| उस शिलाखंड पर तीन दिन और तीन रात वे समाधिस्थ रहे| उसके बाद उन्हें ईश्वर से मार्गदर्शन मिला और उनका कार्य आरम्भ हुआ|
    (४) आज ईसा मसीह का जन्मदिवस पूरे विश्व में मनाया जा रहा है|
    (५) आज पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटलबिहारी वाजपेयी जी का भी जन्मदिवस है|
    .
    ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!

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