अपना हाथ उनके हाथ में थमा दो, और पकड़ कर रखो। उनके हृदय में रहो। स्वयं के हृदय में कोई कुटिलता न हो, अन्यथा वे हाथ नहीं थामेंगे। स्वयं को उन्हीं के हाथों में सौंप दो।
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स्वर्ग और नर्क -- इन दोनों में कोई अंतर नहीं है। स्वर्ग में चार दिन अप्सराओं का डांस देखोगे, नर्क में चार दिन यातनाएँ भुगतोगे, फिर बापस आना तो इस मृत्यु लोक में ही है। उपाय ऐसे करो कि जीवनमुक्त हो जाओ। ये अप्सराओं का डांस तो फिल्मों में भी होता है। पूरा फिल्मीस्तान ही नर्क है।
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दूसरों को ठगने की प्रवृत्ति बिलकुल न हो। जिनमें दूसरों को ठगने, लूटने या पराये धन की कामना होती है उन पर भगवान की कृपा कभी नहीं होती। वे कितना भी पुण्य करें, वह किसी काम नहीं आता। ऐसे लोग नर्क के कीड़े बनते हैं। उनके पास जो कुछ भी है वह पहले के किए हुये पुण्यों का फल है, जो अस्थायी है। फिर जाना तो उनको पशुयोनी में ही है।
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परमात्मा को अपने हृदय में रखो, और सदा निरंतर उनके हृदय में रहो। परमात्मा को छोड़कर इधर-उधर कहीं भी मत झाँको। उन्हें भी आपके हृदय में रहकर प्रसन्नता होगी। ॐ तत्सत् !! ॐ स्वस्ति !! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
५ नवंबर २०२२
इस समय जीवन में सब परेशान हैं। सबको बड़ी बड़ी परेशानियाँ हैं। परेशानियाँ तो अपने कर्मों का फल है जो भुगतनी ही पड़ेंगी। लेकिन उनसे होने वाली पीड़ा बहुत कम या समाप्त की जा सकती है।
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एक मात्र उपाय भगवान में श्रद्धा और विश्वास है। पीड़ा कम करने की प्रार्थना के साथ साथ स्वयं को भी भगवान को समर्पित कर दें। मुझे तो इतना ही ज्ञान है, इससे अधिक नहीं। संत महात्मा भी यही उपाय बताएँगे। भौतिक, मानसिक व आध्यात्मिक कष्टों को दूर करने के लिए अपने दोनों हाथों को ऊपर उठाकर, भगवान के हाथों में थमा दो, और प्रार्थना करो। सब कुछ उन्हें सौंप दो, अपने पास कुछ भी न रखो। भगवान में श्रद्धा और विश्वास हों, व जीवन में सत्यनिष्ठा हो तो सब कष्ट दूर किए जा सकते हैं।
ॐ तत्सत् !!
४ नवंबर २०२२