Wednesday, 9 November 2022

इस संसार में न तो कोई खाली हाथ आता है, और न कोई खाली हाथ जाता है ---

 इस संसार में न तो कोई खाली हाथ आता है, और न कोई खाली हाथ जाता है ---

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कई लोग गीता का नाम लेकर और गीता का बता कर यह अज्ञान बाँटते हैं कि क्या लेकर आया था? और क्या लेकर जायेगा? यह एक राक्षसी और आसुरी ज्ञान है। इस तरह का ज्ञान बाँटने वाले आसुरी बुद्धि के असुर लोग हैं, जो अपना अधम आसुरी ज्ञान बाँट रहे हैं।
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पूर्वजन्मों में अर्जित कर्मफल और ज्ञान लेकर मनुष्य इस संसार में आता है। अपने विचारों और अनुभवों से अर्जित ज्ञान व कर्मफलों में और वृद्धि कर के, उनके साथ ही मनुष्य इस संसार से जाता है। न तो कोई खाली हाथ आया है और न कोई खाली हाथ जायेगा। स्वयं को यह शरीर मानना एक आसुरी भाव है। जो स्वयं को यह शरीर मानते हैं, वे दानव कहलाते हैं। उनका समाज दानव समाज है।
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अपनी तपस्या से सारे कर्मफलों को जो भस्म कर के जाता है वह जीवन-मुक्त पुरुष है। वह कर्मफलों से मुक्त होकर अपनी स्वतंत्र इच्छा से ही विचरण करता है। खाली हाथ यानि रिक्त होकर कोई नहीं जाता। जीवन-मुक्ति का उपाय श्रीमद्भगवद्गीता और उपनिषदों आदि शास्त्रों में बताया गया है, जिसके लिए स्वाध्याय और तपस्या करनी पड़ती है। अपनी कुटिल बुद्धि से कोई मोक्ष या जीवनमुक्ति नहीं पा सकता। ॐ तत्सत् !!
कृपा शंकर
०४ नवंबर २०२२

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