Monday, 16 August 2021

हम ब्रह्ममय बनें, हम स्वयम् ब्रह्म बनें ---

 

हम ब्रह्ममय बनें, हम स्वयम् ब्रह्म बनें---
अब स्वयं को परमात्मा में व्यक्त करने की, या परमात्मा को स्वयं में व्यक्त करने (बात एक ही है) की ही एक प्रचंड अग्नि हृदय में जल रही है| यही अभीप्सा है, यही परमप्रेम है, और यही सब कुछ है| अपनी सम्पूर्ण पृथकता का बोध परमात्मा को समर्पित है|
परमात्मा की बड़ी कृपा है कि किसी भी तरह का कोई संशय या शंका मुझे नहीं है| पूरा मार्गदर्शन प्राप्त है| इस समय किसी से कोई शिकायत नहीं है, कोई निंदा या आलोचना करने को भी कुछ नहीं है| प्रशंसा, निंदा, आलोचना या शिकायत करनी होगी तो परमात्मा से परमात्मा की ही करेंगे| सभी को मेरी मंगलमय शुभ कामनाएँ और नमन|
"यत्र योगेश्वरः कृष्णो यत्र पार्थो धनुर्धरः| तत्र श्रीर्विजयो भूतिर्ध्रुवा नीतिर्मतिर्मम||१८:७८||"
ॐ तत्सत् ॐ ॐ ॐ !!
१६ अगस्त २०२०

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