Thursday 7 May 2020

हम आध्यात्मिक भुखमरी के शिकार न हों:---

हम आध्यात्मिक भुखमरी के शिकार न हों:---
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बड़ा उच्च कोटि का व अति गहन अध्ययन/स्वाध्याय, शास्त्रों का पुस्तकीय ज्ञान, बड़ी ऊँची-ऊँची कल्पनायें, दूसरों को प्रभावित करने के लिए बहुत आकर्षक/प्रभावशाली लिखने व बोलने की कला, ...... पर व्यवहार में कोई भक्ति, साधना/उपासना नहीं, तो उसका सारा शास्त्रीय ज्ञान बेकार है| जैसे भोजन के बारे में सुन-सुनकर कोई अपना पेट नहीं भर सकता, उसे अपनी जठराग्नि को तृप्त करने के लिए कुछ आहार लेना ही पड़ेगा| वैसे ही जो व्यक्ति साधना नहीं करता, वह आध्यात्मिक भुखमरी में ही रहता है| ऐसा व्यक्ति दुनिया को मूर्ख बना सकता है पर भगवान को नहीं| वह अपने अहंकार को ही तृप्त कर रहा है, अपनी आत्मा को नहीं| आत्मा की अभीप्सा परमात्मा के प्रत्यक्ष अनुभव से ही तृप्त होती है, जिस के लिए उपासना/साधना करनी पड़ती है|
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ऐसा गुरु भी किसी काम का नहीं है जो चेले से उपासना नहीं करा सकता, जो चेले को परमात्मा की अनुभूति नहीं करा सकता| गुरु तो ऐसा हो जो चेले को नर्ककुंड से निकाल कर अमृतकुंड में फेंक दे, चाहे बलप्रयोग ही करना पड़े| अच्छे गुरु का चेला कभी आध्यात्मिक भुखमरी का शिकार नहीं होता|
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गुरू लोभी चेला लालची, दोनों खेले दाँव|
दोनों डूबे बावरे, चढ़ि पत्थर की नाव||
बँधे को बँधा मिले, छूटे कौन उपाय|
सेवा कर निर्बन्ध की, जो पल में दे छुड़ाय||
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ॐ तत्सत् !! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
२८ अप्रेल २०२०

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