Sunday 4 March 2018

लगता है अधिकांश समाज ही आजकल प्रेतबाधा से ग्रस्त है .....

लगता है अधिकांश समाज ही आजकल प्रेतबाधा से ग्रस्त है .....
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आसुरी शक्तियाँ प्रकृति में सर्वत्र हैं, विशेष रूप से अपवित्र स्थानों पर, जहाँ से जब कोई गुजरता है तब वह इनसे अवश्य प्रभावित होता है| हम लोगों का मन भी एक अपवित्र स्थान बन गया है जहाँ कोई न कोई असुर आकर बैठ गया है और हमारे ऊपर राज्य कर रहा है| आजकल आसुरी भाव समाज में कुछ अधिक ही व्याप्त है| भगवान की विशेष कृपा ही हमें इन आसुरी शक्तियों से बचा सकती हैं| कई बार हम ऐसी भयानक भूलें कर बैठते हैं कि स्वयं को विश्वास ही नहीं होता कि ऐसा भी हम कर सकते थे, फिर यह कैसे हुआ? कई बार प्राकृतिक आपदाओं में या ऐसे अपने आप ही हम लोग उन्मादग्रस्त होकर एक दूसरे को लूटने व मारने लगते हैं, जैसा कि भारत में आरक्षण आन्दोलनों में हुआ है| दो वर्ष पूर्व हरियाणा में हुए एक आरक्षण आन्दोलन में लगभग पूरा समाज ही आसुरी शक्तियों का शिकार हो गया था जब अधिकांश लोगों ने दूसरों को लूटना और उनकी सम्पत्तियाँ जलाना आरम्भ कर दिया था| कई बार ट्रेन दुर्घटनाओं में देखा गया है कि लोग दुर्घटनाग्रस्त लोगों की सहायता करने की बजाय उन्हें लूटना शुरू कर देते हैं| दुनियाँ में इतने युद्ध, लड़ाई-झगड़े और लूटपाट ये सब इन आसुरी शक्तियों के ही खेल हैं| भारत का विभाजन और उसके बाद हुई तीस लाख से अधिक हिन्दुओं की ह्त्या, अनगिनत मातृशक्ति पर हुए बलात्कार, और लाखों परिवारों का विस्थापन राक्षसी शक्तियों का ही खेल था|
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शराब पीने, मांस खाने, जूआ खेलने वाले, पराये धन और परस्त्री/पुरुष कि अभिलाषा करने वाले तामसिक विचारों के लोग शीघ्र ही सूक्ष्म जगत के असुरों के शिकार बन जाते हैं| आजकल उन्हीं का शासन विश्व पर चल रहा है| हम सब की मनोभूमि पर हिरण्याक्ष और हिरण्यकशिपू राज्य कर रहे हैं| हिरण्याक्ष का अर्थ है .... पराये धन पर दृष्टी| जो कैसे भी पराये धन को हड़पना चाहता है, वह हिरण्याक्ष है| हिरण्यकशिपू का अर्थ है .....जो निरंतर भोग-विलास और वासनाओं में लिप्त है| पृथ्वी पर इस समय इन्हीं का राज्य है| भगवान इनसे रक्षा करे|
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इन राक्षसों से से बचा कैसे जाए? इसका एकमात्र उपाय है .... हम निरंतर परमात्मा का स्मरण करें, वे ही हमारी रक्षा कर सकते हैं| अन्य कोई उपाय नहीं है|
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ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
२८ फरवरी २०१८

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