Sunday 4 March 2018

बीते हुए कल २८फरवरी को :---

कल २८फरवरी को :---
(१) भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद जिन्होनें दो कार्यकाल पूरे किये, का पुण्य स्मृति दिवस था (मृत्यु- 28 फ़रवरी, 1963, सदाकत आश्रम, पटना)| उन की सेवा-निवृति के पश्चात तत्कालीन भारत सरकार ने व्यक्तिगत द्वेष के कारण उनके लिए न तो कोई रहने की व्यवस्था की और न ही इलाज की| बेचारे दमा के मरीज थे और सदाकत आश्रम के एक सीलन भरे कमरे में रहने को बाध्य किये गए जहाँ बिना इलाज के ही अपनी बीमारी के कारण चल बसे| उनके अंतिम संस्कार में भारत सरकार की ओर से न तो कोई अति महत्वपूर्ण व्यक्ति गया और न ही किसी को जाने दिया गया था| देरी से ही सही आज उनको श्रद्धांजलि दे रहा हूँ|
(२) कल राष्ट्रीय विज्ञान दिवस था| प्रोफेसर सी.वी. रमन ने सन् 1928 में कोलकाता में एक उत्कृष्ट वैज्ञानिक खोज की थी, जो 'रमन प्रभाव' के रूप में प्रसिद्ध है| रमण की यह खोज 28 फरवरी 1930 को प्रकाश में आई थी। इस कारण 28 फरवरी राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के रूप में मनाया जाता है|
(३) एक महान तपस्वी संत जिन का पूरा जीवन सनातन हिन्दू धर्म की रक्षा के लिए समर्पित था, कांची कामकोटी पीठ के आचार्य स्वामी जयेंद्र सरस्वती कल २८ फरवरी २०१८ को ब्रह्मलीन हुए| वे सनातन हिन्दू धर्म के एक स्तम्भ थे| आदि शंकराचार्य ने भारत की चार दिशाओं में चार पीठ स्थापित कर के अपने चार शिष्यों को वहाँ का आचार्य बनाया, और पाँचवीं पीठ कांची कामकोटी स्वयं के लिए स्थापित की थी| केदारनाथ में अल्पायु में ही वे ब्रह्मलीन हो गए थे| उन्हीं की परंपरा में स्वामी जयेंद्र सरस्वती जी कांची पीठ के शंकराचार्य थे| सनातन हिन्दू धर्म को अपमानित करने और हिन्दुओं में हीनता का बोध लाने के लिए केंद्र की कांग्रेस सरकार ने उन पर ह्त्या का झूठा आरोप लगाकर जेल में बंद भी करवाया था, पर अदालत में वे निर्दोष सिद्ध हुए|
(४) और भी अनेक महत्वपूर्ण घटनाएँ विश्व में कल घटित हुईं|
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पर दुर्भाग्य है इस देश का कि इस के चौथे स्तम्भ यानी समाचार मीडिया ने इस देश के लोगों को मूर्ख समझा और और पूरे दिन एक फ़िल्मी अभिनेत्री जिसके जीवन में कुछ भी आदर्श नहीं था, के शोक में आंसू बहाती रही| धिक्कार है ऐसी निम्नतम घटिया मीडिया पर| मीडिया के लिए और सरकार के लिए वह अभिनेत्री एक एक परम आदर्श रही होगी पर ऐसा घटिया आदर्श हिन्दू जनमानस को स्वीकार्य नहीं हो सकता| एक महान संत की मृत्यु के समाचार को गायब ही कर दिया गया| मैंने इन घटिया टीवी चैनलों पर समाचार न देखने का निर्णय ले लिया है|
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ॐ तत्सत्! ॐ ॐ ॐ !!
१ मार्च २०१८

2 comments:

  1. होली की शुभ कामनाएँ !

    भारत की निकृष्टतम घटिया से घटिया समाचार मीडिया और सरकार यह बताए कि कल २८ फरवरी २०१८ को पूरे राजकीय सम्मान के साथ जिनका अंतिम संस्कार हुआ और देश का चौथा स्तम्भ यानी बिका हुआ समाचार मीडिया जिनके शोक में चार दिन तक व्याकुल रहा, उन के जीवन में क्या अनुकरणीय शिक्षाप्रद आदर्श था? क्या उनका निधन एक राष्ट्रीय क्षति थी? क्या उनका जीवन-चरित्र स्कूल की पाठ्य पुस्तकों में बच्चों को पढ़ाया जाना चाहिए? क्या वे एक परम आदर्श प्रातःस्मरणीय महिला थीं? देश के लिए उनका क्या योगदान था?
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    शराब के नशे में दो फीट गहरे बाथ टब में नहाते समय डूबने से बचने के लिए किसी जीवन रक्षक प्रणाली का होना अनिवार्य किया जाना चाहिए, ताकि ऐसी दुर्घटना दुबारा न हो| या फिर शराब पीकर टब में नहाने पर ही कानूनी प्रतिबन्ध लगा देना चाहिए|
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    सारी घटिया से घटिया निकृष्टतम मीडिया को धन्यवाद जिसने इस तथाकथित महान महिला के शोक में बाकी सब महत्वपूर्ण समाचारों को भुला दिया| कल राष्ट्रीय विज्ञान-दिवस भी था, भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ.राजेन्द्र प्रसाद का पुण्यस्मृति दिवस भी था, भारत के एक महानतम संत का कल निधन भी हुआ था जो सनातन हिन्दू धर्म के स्तम्भ थे, और भी अनेक महत्वपूर्ण घटनाएँ कल हुई थीं जो इस तथाकथित महान महिला के शोक में उपेक्षित कर दी गईं|

    ०१ मार्च २०१८

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  2. पूज्य स्वामी जी को ९ वर्ष तक झूठे हत्या मुकदमे में फंसाया गया तथा फंसाने वाले नेताओं/ दलों से केन्द्र और राज्य सरकारों का मधुर सम्बन्ध हैं। अतः वे शंकराचार्य का नाम नहीँ लेना चाहते हैं। इतना अत्याचार तथा दबाव था कि चेन्नई के किसी अधिवक्ता का साहस नहीं हुआ कि स्वामी जी का मुकदमा लड़े। कोलकाता उच्च न्यायालय के अधिवक्ता श्री परमेश्वर नाथ मिश्र ने उनके पक्ष में पैरवी की। वे राम जन्मभूमि केस में भी शंकराचार्य की तरफ़ से उच्च तथा उच्चतम न्यायालय में अधिवक्ता हैं। हत्या के मामले को देखते ही लगा कि उसमें एक भी गवाह असली नहीं है। वे गवाह अपने घरों से बहुत दूर केवल गवाह बनने के लिए कैसे पहुंच गये इसका कोई कारण नहीं था। अन्त में सभी 83 गवाह मुकर गये तथा कहा कि उन्होंने पुलिस को ऐसा कोई बयान नहीं दिया था। एक आदमी लोभ में बयान बदल सकता है पर सभी 83 गवाह सरकारी दबाव के बाद भी अपना नकली बयान मानने पर राजी नहीं हुए। यह स्पष्ट रूप से जालसाजी थी जिसके लिये जांच करने वाले पुलिस अधिकारियों पर मुकदमा होना चाहिए। नहीँ तो आसाराम बापू, प्रज्ञा सिंह ठाकुर जैसे सन्त तथा कर्नल पुरोहित जैसे देशभक्त वर्षों तक अत्याचार सहते रहेंगे।

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