अपनी आध्यात्मिक साधना नित्य नियमित करें| किसी कारणवश अपना साधन-भजन छुट
गया हो तो श्रद्धा-विश्वास के साथ तुरंत प्रारम्भ कर दें| नित्य साधना करने
का आदेश स्वयं भगवान दे रहे हैं|
भगवान कहते हैं ....
"अनन्यचेताः सततं यो मां स्मरति नित्यशः| तस्याहं सुलभः पार्थ नित्ययुक्तस्य योगिनः||१८:१४||
अनन्य चित्त वाला योगी सर्वदा निरन्तर प्रतिदिन मुझ परमेश्वरका स्मरण किया करता है| छः महीने या एक वर्ष ही नहीं, जीवनपर्यन्त जो निरन्तर मेरा स्मरण करता है, हे पार्थ उस नित्यसमाधिस्थ योगीके लिये मैं सुलभ हूँ|
.
मुझे तो संसार से मोह सदा दुःखदायी रहा है| परमात्मा के प्रेम में ही सुख मिला है| सभी को शुभ कामनाएँ और नमन ! ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
३ मार्च २०१८
भगवान कहते हैं ....
"अनन्यचेताः सततं यो मां स्मरति नित्यशः| तस्याहं सुलभः पार्थ नित्ययुक्तस्य योगिनः||१८:१४||
अनन्य चित्त वाला योगी सर्वदा निरन्तर प्रतिदिन मुझ परमेश्वरका स्मरण किया करता है| छः महीने या एक वर्ष ही नहीं, जीवनपर्यन्त जो निरन्तर मेरा स्मरण करता है, हे पार्थ उस नित्यसमाधिस्थ योगीके लिये मैं सुलभ हूँ|
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मुझे तो संसार से मोह सदा दुःखदायी रहा है| परमात्मा के प्रेम में ही सुख मिला है| सभी को शुभ कामनाएँ और नमन ! ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
३ मार्च २०१८
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