Sunday 21 January 2018

निर्बल के बल राम, निर्धन के धन राम, और निराश्रय के आश्रय राम ......

निर्बल के बल राम, निर्धन के धन राम, और निराश्रय के आश्रय राम ....... यह शत प्रतिशत अनुभूत सत्य है|
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कोई मेरे से मिलने आता है तो उससे मैं यदि भगवान की भक्ति की ही बात करता हूँ तो मैंने देखा है कि वह व्यक्ति शीघ्र ही बापस चला जाता है| किसी से वेदान्त पर चर्चा करता हूँ तो वह फिर बापस कभी लौट कर नहीं आता| अन्य विषयों से मेरी रूचि समाप्त हो गयी है| अतः मिलने जुलने वाले बहुत ही नगण्य लोग हैं| यह भी भगवान की एक कृपा ही है|
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मैं परमात्मा के गुणों की बातें इसलिए करता हूँ कि दूसरे विषयों में मेरी रूचि नहीं रही है| अन्य कोई कारण नहीं है| ध्यान का प्रयास भी इसीलिये करता हूँ कि अन्य कुछ जैसे ..... कोई पूजा-पाठ, जप-तप, कोई मंत्र-स्तुति आदि मुझे नहीं आती, इन्हें सीखने की इच्छा भी नहीं है| न तो मुझे श्रुतियों का और न ही आगम शास्त्रों का कोई ज्ञान है| इन्हें समझने की बुद्धि भी नहीं है| किसी भी देवी-देवता और ग्रह-नक्षत्र, में मेरी कोई आस्था नहीं है, क्योंकि इन सब को ऊर्जा और शक्ति परमात्मा से ही मिलती है, इनकी कोई स्वतंत्र सत्ता नहीं है| परमात्मा से प्रेम ही मेरी एकमात्र संपत्ति है| किसी को देने के लिए भी मेरे पास कुछ नहीं है| फालतू की गपशप की आदत मुझमें नहीं है|
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भगवान की कृपा ही मेरा आश्रय है| सभी को मेरी शुभ कामनाएँ और सप्रेम सादर नमन ! ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
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पुनश्चः :- धन्य हैं वे सब लोग जो मुझे सहन कर लेते हैं| उन सब को बारंबार नमन !

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