Tuesday 27 December 2016

क्या पाठ्य पुस्तकों में लिखा हुआ सच है ? .....

क्या पाठ्य पुस्तकों में लिखा हुआ सच है ? .....
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पाठ्य पुस्तकों में जो इतिहास पढ़ा था वह अब सारा अविश्वसनीय और गलत सिद्ध हो रहा है| प्रश्न यह है कि सत्य क्या है?
भारत का इतिहास तो भारत के शत्रुओं ने ही लिखा है| अंग्रेजों ने व उनके मानस पुत्रों ने जो इतिहास लिखा वह तो भारतीयों में हीन भावना भरने के लिए ही लिखा था| अपने स्वयं के कुकृत्यों को तो उन्होंने छिपा ही दिया पर भारत के गौरव को तो बिलकुल ही छिपा दिया गया है|
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भारत की तो छोडिये यूरोप और अमेरिका के बारे में भी जो कुछ लिखा है वह भी दुराग्रहग्रस्त है| अपने स्वयं के द्वारा किये गए नरसंहारों को और भारत में हुए नरसंहारों को बिलकुल छिपा दिया गया है|
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इतिहास में पढ़ा था कि कोलम्बस ने अमेरिका की खोज की| पर जब कोलंबस वहाँ पहुँचा तब वहाँ की जनसंख्या दस करोड़ के लगभग थी, वह कहाँ से आ गयी? अमेरिका तो पहिले से ही था विश्व की एक तिहाई जनसंख्या के साथ| तब क्या खोज की उसने? अब कह रहे है कि कोलम्बस से पांच सौ वर्ष पूर्व ही लीफ एरिक्सन नाम का योरोपियन वहां पहुंचा था|
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ऐसे ही 25 दिसंबर को जीसस क्राइस्ट का जन्म हुआ इसका कोई प्रमाण नहीं है| सन 1836 ई. तक तो अमेरिका में ही 25 दिसंबर को क्रिसमस मनाने पर प्रतिबन्ध था क्योंकी इसे एक pagan परम्परा माना जाता था|
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रोम के सम्राट कोंसटेंटाइन दी ग्रेट ने ही यह तय किया था कि जीसस का जन्म 25 दिसम्बर को हुआ| उपरोक्त रोमन सम्राट एक सूर्योपासक था, ईसाई नहीं| उस जमाने में सबसे छोटा दिन 24 दिसंबर होता था (अब 22 दिसंबर)| 25 दिसंबर से दिन बड़ा होने लगता था अतः उसे जीसस का जन्मदिन उसने घोषित कर दिया|
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उसने ईसाईयत का उपयोग अपने साम्राज्य के विस्तार के लिए किया| जब वह मर रहा था तब पादरियों ने उस असहाय का बलात् बापतिस्मा कर दिया| वर्त्तमान बाइबिल के न्यू टेस्टामेंट भी उसी के द्वारा संपादित हुए थे| जीसस के जीवन का असली घटनाक्रम भी छिपा दिया गया है|
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इतिहास में हमें यह कभी नहीं बताया गया कि कोंकण के एक चित्तपावन ब्राह्मण परिवार में जन्मा विश्वनाथ बालाजी बाजीराव तत्कालीन भारत का महानतम सेनापति था| उसने चालीस से पचास के आसपास युद्ध किये पर कभी पराजय का मुंह नहीं देखा| उसकी असमय मृत्यु नहीं होती तो वह भारत का सम्राट होता| उससे पूर्व हुए हेमचन्द्र विक्रमादित्य जैसे वीरों को भी भारत के इतिहासकारों ने छिपा दिया| विजयनगर साम्राज्य के बारे में तो कुछ नहीं पढ़ाया जाता|
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अब किस पर विश्वास करें, किस पर नहीं, कुछ कह नहीं सकते| कभी न कभी तो भारत का सही इतिहास भी सामने आयेगा ही| असत्य और अन्धकार भी कभी न कभी दूर अवश्य होगा|

जय जननी जय भारत !

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