शेखावाटी (राजस्थान) के वचनसिद्ध महात्मा परमहंस पंडित
गणेश नारायण जी शर्मा बावलिया बाबा एक परमसिद्ध अघोरी शिव उपासक थे| उनकी वाणी कभी मिथ्या नहीं होती थी| वे जो भी कहते वह सत्य हो जाता था|
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पंडित जी के भक्तों में पिलानी के सेठ श्री जुगल किशोर जी बिड़ला और खेतड़ी नरेश महाराजा अजित सिंह जी शेखावत (जिन्होंने स्वामी विवेकानंद को अमेरिका भेजा) आदि थे| बिड़ला परिवार में आज भी मुख्य पूजा पंडित जी की ही होती है| उनके आशीर्वाद से ही बिड़ला परिवार इतना धनाढ्य बना|
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पंडित जी का जन्म बुगाला गाँव में हुआ था, वे अधिकाशतः नवलगढ़ में ही रहे| उनकी साधना भूमि चौरासिया मंदिर चिड़ावा थी जिसे वे शिवभूमि बना गए|
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किसी भी व्यक्ति को देखते ही उसका भूत भविष्य और वर्तमान उनके सामने आ जाता था| किसी से कभी कुछ स्वीकार नहीं करते थे| एक बार महाराजा अजित सिंह ने उनसे कुछ स्वीकार करने की प्रार्थना की तो उन्होंने कहा कि कुछ केले ला दो| पूरे बाज़ार में और आसपास ढूंढ लिया पर कहीं भी केले नहीं मिले| फिर कहा चलो एक पैसे का ताम्बे का छेद वाला एक सिक्का दे दो| वैसा सिक्का कहीं भी किसी के पास भी नहीं मिला| कोई कुछ खाने का सामान लाता तो वे बाहर खेल रहे बच्चों में बांटने का आदेश दे देते थे|
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ऐसे परम संत को सादर नमन !
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पंडित जी के भक्तों में पिलानी के सेठ श्री जुगल किशोर जी बिड़ला और खेतड़ी नरेश महाराजा अजित सिंह जी शेखावत (जिन्होंने स्वामी विवेकानंद को अमेरिका भेजा) आदि थे| बिड़ला परिवार में आज भी मुख्य पूजा पंडित जी की ही होती है| उनके आशीर्वाद से ही बिड़ला परिवार इतना धनाढ्य बना|
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पंडित जी का जन्म बुगाला गाँव में हुआ था, वे अधिकाशतः नवलगढ़ में ही रहे| उनकी साधना भूमि चौरासिया मंदिर चिड़ावा थी जिसे वे शिवभूमि बना गए|
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किसी भी व्यक्ति को देखते ही उसका भूत भविष्य और वर्तमान उनके सामने आ जाता था| किसी से कभी कुछ स्वीकार नहीं करते थे| एक बार महाराजा अजित सिंह ने उनसे कुछ स्वीकार करने की प्रार्थना की तो उन्होंने कहा कि कुछ केले ला दो| पूरे बाज़ार में और आसपास ढूंढ लिया पर कहीं भी केले नहीं मिले| फिर कहा चलो एक पैसे का ताम्बे का छेद वाला एक सिक्का दे दो| वैसा सिक्का कहीं भी किसी के पास भी नहीं मिला| कोई कुछ खाने का सामान लाता तो वे बाहर खेल रहे बच्चों में बांटने का आदेश दे देते थे|
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ऐसे परम संत को सादर नमन !
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