Tuesday 27 December 2016

"मन" महाराज को धन्यवाद .....

"मन" महाराज को धन्यवाद .....
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आजकल मन अन्यत्र सब स्थानों से हट कर सिर्फ परमात्मा में ही लगा रहता है| इसकी रूचि अब अन्य कहीं भी नहीं रही है| पहिले यह बहुत चंचल और अशांत रहता था| पर अब बहुत कुछ सुधर गया है| अतः यह अब धन्यवाद का पात्र है|
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पीड़ा थोड़ी-बहुत सिर्फ "शरीर" महाराज से ही है जो रुग्ण होकर कई बार अनेक कष्ट देता है| यह भी कभी ना कभी तो सुधरेगा ही, इस जन्म में नहीं तो अगले जन्म में|
ॐ ॐ ॐ ||

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