Tuesday 27 December 2016

सभी लोक भाषाओँ में दिया संतों का ज्ञान .....

पूरे भारतवर्ष में सभी सम्प्रदायों के संतों ने सरलतम लोकभाषाओं में कम से कम शब्दों में कई बार अत्यंत गूढ़ बातें कहीं हैं| जब हरिकृपा से कभी कभी उनका अर्थ समझ में आता है तब हतप्रभ और नतमस्तक हो जाता हूँ|
लोग साहित्यिक दृष्टी से तो उनका अध्ययन करते हैं पर आध्यात्मिक दृष्टी से नहीं|

कई संतों की वाणियों में जब मैं अजपाजप, चक्रभेद, अनाहतनाद, स्वरयोग और भक्ति के बारे में पढता हूँ तो उनके अद्भुत अनुभूत ज्ञान के आगे नतमस्तक हो जाता हूँ|
.
धन्य है भारतभूमि जहाँ संत जन्म लेते हैं| संतों के त्याग और तपस्या से ही हमारा धर्म, संस्कृति और राष्ट्र जीवित है| भारत का उद्धार भी उनकी अध्यात्मिक शक्ति ही करेगी|
.
ॐ ॐ ॐ ||

No comments:

Post a Comment