Wednesday 10 August 2016

सहस्त्रार में गुरु तत्व का ध्यान ......

एक योगी साधक के लिए ओंकार रूप में राम नाम तो सर्वदा कूटस्थ चैतन्य में है ही, पर स्थिति सुषुम्ना में और उससे भी ऊपर सहस्त्रार में निरंतर गुरु के साथ हो| गुरु और परमात्मा का संग ही वास्तविक सत्संग है|
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किसी भी न्यायालय में कोई भी न्यायाधीश जब अपने आसन पर बैठता है तब वहाँ सब कुछ पूरी तरह से व्यवस्थित हो जाता है| लोग अपने मोबाइल बंद कर देते हैं, कोई वकील भी गपशप या फालतू बात नहीं करता, और सब सतर्क हो जाते हैं| वैसे ही सद्गुरु महाराज तत्व रूप में जब सहस्त्रार में बिराजमान होते हैं तब जीवन में सब कुछ अपने आप ही व्यवस्थित हो जाता है| सहस्त्रार में गुरु महाराज का निरंतर तत्व रूप में ध्यान करो|
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गुरु ॐ ! गुरु ॐ ! गुरु ॐ ! गुरु ॐ ! गुरु ॐ ! जय गुरु ! ॐ ॐ ॐ !!

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