Wednesday 10 August 2016

निष्काम कर्म .........

निष्काम कर्म .........
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भक्तों के लिए भगवान की पराभक्ति यानि अहैतुकी भक्ति ही निष्काम कर्म है| जिससे ईश्वर प्रसन्न हों वे कार्य, यानि प्रभु की प्रसन्नता हेतु सम्पादित कार्य ही निष्काम कर्म हैं|
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योगमार्ग के साधकों के लिए पराभक्ति के साथ साथ ध्यान में मेरुदंड स्थित सुषुम्ना नाड़ी में मूलाधार चक्र से आज्ञा चक्र व सहस्त्रार तक और फिर बापस नीचे-ऊपर प्राण ऊर्जा के सचेतन संचलन द्वारा चक्र भेद और अनाहत नाद यानि ओंकार पर ध्यान ही निष्काम कर्म है|
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ॐ नमः शिवाय | ॐ तत्सत् | ॐ ॐ ॐ ||

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