Monday, 29 December 2025

जो वेदान्त के ब्रह्म हैं, वे ही साकार रूप में भगवान श्रीकृष्ण हैं। यह अनुभूतिजन्य सत्य है ---

निज जीवन में बहुत अधिक भटकाव के पश्चात मैं अब अपने विचारों पर दृढ़ हूँ। जो वेदान्त के ब्रह्म हैं, वे ही साकार रूप में भगवान श्रीकृष्ण हैं। यह अनुभूतिजन्य सत्य है। किसी भी तरह का कोई संशय नहीं है। द्वैत-अद्वैत / साकार-निराकार ये सब मन की अवस्थाएँ हैं। किसी भी रूप में भगवान अपनी साधना करें, यह उनकी इच्छा है। भगवान अपनी ज्योतिर्मय अनंतता व उससे भी परे की अनुभूतियाँ करा रहे हैं, यह उनकी कृपा है। उनकी कृपा से ही ये साँसे चल रही हैं, और उन्हीं की कृपा से यह शरीर जीवित है। अपनी साधना भी वे स्वयं ही कर रहे हैं।

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आज मेरा भौतिक स्वास्थ्य बिलकुल भी ठीक नहीं है। कल रात को बहुत अधिक उल्टियाँ हुईं और दस्त लगे। इस शरीर में बिलकुल भी जान नहीं है, लेकिन अपनी संकल्प शक्ति से मैं बिलकुल स्वस्थ (स्व+स्थ) हूँ। असत्य और अंधकार की शक्तियों का प्रतिकार करते हुए परमशिव में स्थित हूँ।
ॐ तत्सत् !! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
२९ दिसंबर २०२५

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