३१ दिसंबर की रात्रि "निशाचर रात्रि" होती है। निशाचर लोग अभिसारिकाओं की खोज में रहते हैं, और अभिसारिकायें निशाचरों की खोज में। वहाँ धोखा ही धोखा है। मद्यपान, नाचगाना और हो-हुल्लड़ के सिवाय और कुछ भी नहीं होता। जिस रात भगवान का भजन नहीं होता वह राक्षस-रात्रि है, और जिस रात भगवान का भजन हो जाए वह देव-रात्रि है। मेरी बात की लोग हंसी उड़ायेंगे, लेकिन मुझ पर इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। मैं वही कहूँगा जिससे आपका कल्याण हो।
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काम वही करें जिससे आत्म-शक्ति में वृद्धि हो। सर्वश्रेष्ठ कार्य है -- "ज्योतिर्मय पारब्रह्म/पुरुषोत्तम/परमशिव का ध्यान और जपयज्ञ"। इससे असत्य और अंधकार की शक्तियाँ क्षीण होंगी। अपनी बुद्धिमत्ता और ओजस्विता को मत लुटायें। परमशिव की आसक्ति का आलम्बन करें। ईश्वर और संतपुरुषों के अनुग्रह के लिए प्रार्थना करें, ताकि राष्ट्र शक्तिशाली हो, और हम वीर्यवान बनें।
ॐ तत्सत् !! महादेव महादेव महादेव !! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
३१ दिसंबर २०२५
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