Monday, 29 December 2025

मेरे द्वारा सबसे बड़ी सेवा क्या हो सकती है ??

 मेरे द्वारा सबसे बड़ी सेवा क्या हो सकती है ??

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प्रकृति ने अपने नियमानुसार जहाँ भी मुझे रखा है, उससे मुझे कोई शिकायत नहीं है। पूर्वजन्मों के कर्मानुसार मेरा यह जीवन निर्मित हुआ। भविष्य की कोई कामना नहीं है। हृदय में यह गहनतम और अति अति प्रबल अभीप्सा अवश्य है कि यदि पुनर्जन्म हो तो मैं इस योग्य तो हो सकूँ कि भगवान को पूर्णरूपेण समर्पित होकर, उनकी अनन्य-अव्यभिचारिणी-भक्ति सभी के हृदयों में जागृत कर सकूँ। भगवान की पूर्ण अभिव्यक्ति मुझ में हो। किसी भी कामना का जन्म न हो।
"मयि चानन्ययोगेन भक्तिरव्यभिचारिणी।
विवक्तदेशसेवित्वरतिर्जनसंसदि॥१३:११॥" (श्रीमद्भगवद्गीता)
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ॐ तत्सत् !! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
२९ दिसंबर २०२३

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