हमारा कार्य केवल परमात्मा के प्रकाश का विस्तार करना है, अन्य सब उनकी यानि परमात्मा की समस्या है।
मेरे चारों ओर अनेक प्रकार की शक्तियाँ कार्य कर रही हैं, कुछ सकारात्मक हैं जो मुझे परमात्मा के मार्ग पर धकेल रही हैं। कुछ नकारात्मक शक्तियाँ हैं जिनका वश चले तो वे मुझे अभी इसी समय जलाकर भस्म कर दें। वे नकारात्मक शक्तियाँ मेरा कुछ भी नहीं बिगाड़ पा रही हैं। मैं निरपेक्ष भाव में हूँ। यह सृष्टि परमात्मा की है, मेरी नहीं। उनकी इच्छा कि वे स्वयं को कैसे व्यक्त करें। सकारात्मक हो या नकारात्मक सब में परमात्मा हैं। मुझे एक महापुरुष के वचन याद हैं। उन्होने कहा था कि हमारा कार्य केवल परमात्मा के प्रकाश का विस्तार करना है, अन्य सब उनकी यानि परमात्मा की समस्या है। मेरा भी आदर्श यही है। मेरे साथ क्या होता है, उसका महत्व नहीं है। उस अनुभव से मैं क्या बनता हूँ, महत्व सिर्फ इसी बात का है। जीवन का हर अनुभव कुछ नया सीखने का अवसर है। क्रियायोग व कूटस्थ में ज्योतिर्मय ब्रह्म का अनन्य भाव से ध्यान -- ईश्वरीय प्रेरणा से यही मेरी आध्यात्मिक साधना है।
ॐ तत्सत् !! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
२५ दिसंबर २०२५
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