Wednesday, 20 April 2022

सबसे बड़ी सेवा और परोपकार ---

 

यदि हम एक ब्रह्मशक्ति को जागृत कर स्वयं में अवतरित कर सकें तो यह सबसे बड़ी सेवा और परोपकार का कार्य होगा, जो हम इस जन्म में कर सकते हैं। लेकिन यह कार्य इतना सरल नहीं है। ब्रहमतेज को सहन करने की क्षमता भी स्वयं में होनी चाहिए, जिसके लिए मनसा, वाचा, कर्मणा -- ब्रह्मचर्य का पालन, नित्य-नियमित उपासना और भगवान की परम कृपा चाहिए। इस तरह के तेजस्वी महापुरुष भारत में अवतरित होंगे, तभी भारत का और धर्म का उद्धार होगा।
ॐ तत्सत् !! ॐ स्वस्ति !!
कृपा शंकर
७ अप्रेल २०२२
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हे परमशिव, मेरी हर आती-जाती सांस के पीछे आप ही हैं। मेरे कूटस्थ में आप ही निरंतर बिराजमान हैं। मैं आपके ही मन की एक कल्पना मात्र हूँ। मुझ अकिंचन को कुछ भी और आता-जाता नहीं है। आपके अतिरिक्त मैं किसी भी अन्य को नहीं जानता। किसी भी तरह की कोई उपासना करना अब मेरे लिए संभव नहीं है। जो कुछ भी करना है, वह आप ही करेंगे। इस देह के अंत समय में याद भी मुझे आप ही करेंगे। मेरे कल्याण की ज़िम्मेदारी अब आपकी है। आपको मेरा उद्धार करना ही पड़ेगा।
ॐ तत्सत् !! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
७ अप्रेल २०२२

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