Thursday 21 April 2022

हमारे देश और समाज के हर वर्ग के पतन का कारण धर्म-शिक्षा का अभाव है ---

 हमारे देश और समाज के हर वर्ग के पतन का कारण धर्म-शिक्षा का अभाव है, जिसके कारण हमारा राष्ट्रीय चरित्र लुप्त हो गया है। पहले विद्यार्थी समाज के गलत प्रभाव से दूर गुरुकुलों में रह कर पढ़ता था, जहां से वह अति उच्च कोटि का चरित्रवान होकर निकलता था। आजकल की अङ्ग्रेज़ी पढ़ाई का लक्ष्य सिर्फ और सिर्फ पैसे कमाना है, जिसके कारण भ्रष्टाचार -- सदाचार बन गया है| पहले वेदाध्यापन के पश्चात गुरु द्वारा अपने शिष्यों को सम्यग् आचरण की शिक्षा दी जाती थी --

"वेदमनूच्याचार्योऽन्तेवासिनमनुशास्ति । सत्यं वद । धर्मं चर । स्वाध्यायान्मा प्रमदः । आचार्याय प्रियं धनमाहृत्य प्रजानन्तुं मा व्यवच्छेसीः । सत्यान्न प्रमदितव्यम् । धर्मान्न प्रमदितव्यम् । कुशलान्न प्रमदितव्यम् । भूत्यै न प्रमदितव्यम् । स्वाध्यायप्रवचनाभ्यां न प्रमदितव्यम् ।।
देवपितृकार्याभ्यां न प्रमदितव्यम् । मातृदेवो भव । पितृदेवो भव । आचार्यदेवो भव । अतिथिदेवो भव । यान्यनवद्यानि कर्माणि । तानि सेवितव्यानि । नो इतराणि । यान्यस्माकं सुचरितानि । तानि त्वयोपास्यानि ।।
(तैत्तिरीय उपनिषद्, शिक्षावल्ली, अनुवाक ११, मंत्र १ व २)"
.
वर्तमान सभ्यता विनाश की ओर जा रही है। मनुष्य को डर सिर्फ अपनी मृत्यु से ही लगता है। या तो महाविनाश से हुई मृत्यु के पश्चात ही हम सुधरेंगे, या फिर परमात्मा की अनुकंपा से। इस समय तो एक अदृश्य जीवाणु ने ही पूरे विश्व को घुटनों पर ला दिया है| देखिये क्या होता है? कुछ न कुछ तो परिवर्तन होगा ही।
ॐ स्वस्ति !! ॐ तत्सत् !!
कृपा शंकर
२२ अप्रेल २०२१

2 comments:

  1. एक बात जोर देकर बार बार कहता हूँ की जिस से हमारा सर्वतोमुखी सर्वांगीण सम्पूर्ण विकास हो, और जिस से हमें सब तरह के कष्टों व दुःखों से मुक्ति मिले, वही "धर्म" है।
    जो उपरोक्त उद्देश्यों की पूर्ति नहीं करता वह "अधर्म" है।
    .
    भारत में "अभ्यूदय और निःश्रेयस की सिद्धि" को ही कणाद ऋषि के वैशेषिक सूत्रों ने "धर्म" शब्द को परिभाषित किया है। इसका अर्थ वही है जो ऊपर दिया हुआ है।
    धर्म एक ही है और वह है सनातन धर्म। अन्य कोई धर्म नहीं, बल्कि पंथ, मज़हब या रिलीजन हैं। "धर्म" शब्द का किसी भी अन्य भाषा में कोई अनुवाद नहीं हो सकता।
    .
    धर्मशिक्षा के अभाव में भारत की युवा पीढ़ी को धर्म का ज्ञान नहीं है। मुझे बड़ी पीड़ा होती है जब आज की युवा पीढ़ी कहती है कि वे किसी धर्म को नहीं मानते।
    कृपा शंकर
    २१ मार्च २०२२

    ReplyDelete
  2. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete