Tuesday 26 October 2021

जिसे प्यास लगी है, वही पानी पीयेगा ---

 जिसे प्यास लगी है, वही पानी पीयेगा ---

.
यह संसार त्रिगुणात्मक है। इस समय विश्व में तमोगुण का प्रभाव अधिक है। इस सृष्टि के स्वामी स्वयं भगवान हैं जिन का आदेश है कि हम इस त्रिगुणात्मक सृष्टि से ऊपर उठें। स्वयं निमित्त मात्र बनकर भगवान के आदेश का ही पालन करेंगे।
जीवन में परमात्मा का अवतरण सर्वप्रथम स्वयं में हो, फिर जो कुछ भी करना है, वह वे परमात्मा स्वयं करेंगे।
.
जब तक स्वयं में प्राण और चेतना है, तब तक हरिःनाम विस्मृत नहीं हो सकता। यह शरीर रहे या न रहे, लेकिन परमात्मा का चैतन्य और उनकी स्मृति सदा रहेगी। मेरा नहीं, सिर्फ परमात्मा का ही अस्तित्व होगा।
.
"हरिः अनंत हरिः कथा अनंता। कहहिं सुनहिं बहुबिधि सब संता॥
रामचंद्र के चरित सुहाए। कलप कोटि लगि जाहिं न गाए॥"
हरिः अनंत हैं (उनका कोई पार नहीं पा सकता) और उनकी कथा भी अनंत है। सब संत उसे बहुत प्रकार से कहते-सुनते हैं। रामचंद्र के सुंदर चरित्र करोड़ों कल्पों में भी गाए नहीं जा सकते।
.
ॐ तत्सत् !! ॐ ॐ ॐ !!
२५ अक्तूबर २०२१

No comments:

Post a Comment