काल की गति पर पूर्ण नियंत्रण सिर्फ भगवान का है। इस समय काल की गति ऊर्ध्वमुखी है, अतः इस आरोह-काल में मनुष्य की चेतना का भी निरंतर उत्थान और विस्तार हो रहा है। जिस दिन आत्मा की शाश्वतता और कर्मफलों की प्राप्ति हेतु पुनर्जन्म का सत्य , जन-सामान्य को समझ में आने लगेगा, उसी दिन से सत्य-सनातन-धर्म की पुनर्प्रतिष्ठा सम्पूर्ण विश्व में होने लगेगी। सत्य-सनातन-धर्म सम्पूर्ण विश्व में व्याप्त होगा, और असत्य का अंधकार दूर होगा।
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भगवान की सर्वोत्तम और सर्वाधिक अभिव्यक्ति भारतभूमि में हुई है। अतः भारत निश्चित रूप से एक सत्य-सनातन-धर्मनिष्ठ अखंड हिन्दू राष्ट्र बनेगा। भारत में छाया असत्य का अंधकार दूर होगा, और सनातन-धर्म की पुनर्प्रतिष्ठा और वैश्वीकरण होगा। वह दिन देखने के लिए मैं जीवित रहूँ या नहीं, लेकिन उस घटना का साक्षी अवश्य रहूँगा। सनातन धर्म का आधार ही -- आत्मा की शाश्वतता, कर्मफलों की प्राप्ति हेतु पुनर्जन्म, और भगवत्-प्राप्ति है।
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अपनी वर्तमान आयु और अवस्था में अब भगवत्-प्राप्ति को ही अपना एकमात्र धंधा बना लिया है। इस धंधे में केवल भगवान ही सम्मिलित हैं, और कोई भी अन्य नहीं है। सारी साधनाएँ और उपासना इसी धंधे का भाग हैं। सारा नफा-नुकसान भी भगवान का है, अन्य किसी से कुछ भी लेना-देना नहीं है। मैं रहूँ या न रहूँ, इसका भी कोई महत्व नहीं है। मेरी चेतना में एकमात्र अस्तित्व भगवान का ही रहे। इस समय मेरी आयु आधिकारिक रूप से ७५ वर्ष है, अतः यही धंधा मेरे लिए सर्वश्रेष्ठ है।
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सभी को मंगलमय शुभ कामनाएँ और नमन !! ॐ तत्सत् !!
कृपा शंकर
२४ अक्तूबर २०२१
सत्य-सनातन-धर्म की रक्षा भगवान करेंगे तो वे अपना माध्यम या निमित्त तो हमें ही बनाएँगे। अतः निज जीवन में परमात्मा को अपनी पूर्ण भक्ति, शरणागति और समर्पण द्वारा व्यक्त करें। यही हमारा स्वधर्म है। सब तरह की नास्तिक अवधारणाओं का एक बार त्याग कर दें। साथ-साथ सब तरह की सद्गुण-विकृतियों का भी त्याग कर दें। भगवान ने हमें विवेक दिया है, उस विवेक के प्रकाश में ही सारा कार्य करें।
ReplyDeleteॐ तत्सत् !!
कृपा शंकर
२४ अक्तूबर २०२१
https://youtu.be/2dyjls7jgko
ReplyDeleteहरिः ॐ तत्सत्। 🙏