Saturday, 10 November 2018

अपने शिवत्व की ओर हम निरंतर अग्रसर रहें ....

पूर्णता शिव में है, जीव में नहीं.
अपने शिवत्व की ओर हम निरंतर अग्रसर रहें .....
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भगवान भुवन-भास्कर आदित्य की तरह हम अपने पथ पर चलते रहें| अपनी विफलताओं व सफलताओं की परवाह न करें, उनका आना-जाना एक अवसर था कुछ सिखाने के लिए| हमारा कार्य सिर्फ चलते रहना है क्योंकि ठहराव मृत्यु और चलते रहना ही जीवन है| इस यात्रा में वाहन यह देह पुरानी और जर्जर हो जायेगी तो दूसरी देह मिल जायेगी, पर अपनी यात्रा को मत रोकें, चलते रहें, चलते रहें, चलते रहें, तब तक चलते रहें, जब तक अपने लक्ष्य परमात्मा को न पा लें|
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अंशुमाली मार्तंड भगवान सूर्य अपनी दिव्य आभा और प्रकाश के साथ जब अपने पथ पर अग्रसर होते हैं, तब उन्हें क्या इस बात की चिंता होती है कि मार्ग में क्या घटित हो रहा है? निरंतर अग्रसर वे ही इस साधना पथ पर हमारे परम आदर्श हैं जो सदा प्रकाशमान और गतिशील हैं|
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हमारे कूटस्थ आत्मसूर्य की आभा निरंतर सदा हमारे समक्ष रहे, वास्तव में वह आत्मसूर्य हम स्वयं ही हैं| उस ज्योतिषांज्योति आत्मज्योति के चैतन्य को निरंतर प्रज्ज्वलित रखें और अपने सम्पूर्ण अस्तित्व को उसी में विलीन कर दें| वह कूटस्थ ही परमशिव है, वही नारायण है, वही विष्णु है, वही परात्पर गुरु है और वही परमेष्ठी परब्रह्म हमारा वास्तविक अस्तित्व है|
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जो नारकीय जीवन हम जी रहे हैं उससे तो अच्छा है कि अपने लक्ष्य की प्राप्ति का प्रयास करते हुए अपने प्राण न्योछावर कर दें| या तो यह देह ही रहेगी या लक्ष्य की प्राप्ति ही होगी जो हमारे जीवन का सही और वास्तविक उद्देश्य है| भगवान हमें सदा सफलता दें|
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ॐ तत्सत् ! ॐ शिव ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
१० नवम्बर २०१८

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