जैसे गिद्ध, चील-कौए, और लकड़बघ्घे मृत लाशों को ही ढूँढ़ते रहते हैं और
अवसर मिलते ही उन पर टूट पड़ते है, वैसे ही मनुष्य का मन भी एक गिद्ध है जो
दूसरों को लूटने, ठगने और विषय-वासनाओं की पूर्ति के अवसर ढूँढ़ता रहता है
और अवसर मिलते ही उन पर टूट पड़ता है|
मनुष्य के वेश में भी बहुत सारे परभक्षी घुमते हैं जिन की गिद्ध दृष्टी दूसरों से घूस लेने, दूसरों को ठगने, लूटने और वासनापूर्ति को ही लालायित रहती है| ऐसे लोग बातें तो बड़ी बड़ी करते हैं पर अन्दर ही अन्दर उन में कूट कूट कर हिंसा, लालच, कुटिलता व दुष्टता भरी रहती है| मनुष्य के रूप में ऐसे परभक्षी चारों ओर भरे पड़े हैं| भगवान की परम कृपा ही उन से हमारी रक्षा कर सकती है, अन्य कुछ भी नहीं|
मनुष्य के वेश में भी बहुत सारे परभक्षी घुमते हैं जिन की गिद्ध दृष्टी दूसरों से घूस लेने, दूसरों को ठगने, लूटने और वासनापूर्ति को ही लालायित रहती है| ऐसे लोग बातें तो बड़ी बड़ी करते हैं पर अन्दर ही अन्दर उन में कूट कूट कर हिंसा, लालच, कुटिलता व दुष्टता भरी रहती है| मनुष्य के रूप में ऐसे परभक्षी चारों ओर भरे पड़े हैं| भगवान की परम कृपा ही उन से हमारी रक्षा कर सकती है, अन्य कुछ भी नहीं|
हे प्रभु, हम अपने
विचारों के प्रति सदा सजग रहें और हमारा मन निरंतर आपकी चेतना में रहे| सब
तरह के कुसंग, बुरे विचारों और प्रलोभनों से हमारी रक्षा करो|
ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
३ नवम्बर 2018
ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
३ नवम्बर 2018
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