छोटी दीपावली की शुभ कामनाएँ .....
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आज छोटी दीपावली है जिसे "नर्क चतुर्दशी" व "रूप चतुर्दशी" भी कहते हैं| नरकासुर नाम का एक राक्षस था, जिसने सोलह हजार एक सौ महिलाओं को बंदी बना रखा था| जब उसका अत्याचार बहुत अधिक बढ़ गया तब देवता और ऋषिमुनि भगवान श्रीकृष्ण की शरण में गए और उन्हें युद्ध के लिए मनाया| भयंकर युद्ध हुआ जिसमें भगवान श्रीकृष्ण कुछ समय के लिए मूर्छित हो गए| सारथी के रूप में गयी उनकी पत्नी सत्यभामा ने नरकासुर के साथ भयंकर युद्ध किया और उसका वध कर दिया| उस दिन कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी थी, अतः इस दिन को नरकासुर चतुर्दशी या #नर्क_चतुर्दशी भी कहते हैं|
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रन्तिदेव एक पुण्यात्मा राजा थे| उन्होंने अनजाने में भी कोई पाप नहीं किया था, लेकिन जब मृत्यु का समय आया तो उन्हें नर्क में ले जाने उनके सामने यमदूत आ खड़े हुए| यमदूतों को सामने देख राजा अचंभित हुए और बोले मैंने तो कभी कोई पाप-कर्म ही नहीं किया फिर आप लोग मुझे लेने क्यों आए हो? पुण्यात्मा राजा की अनुनय भरी वाणी सुनकर यमदूतों ने कहा हे राजन् एक बार आपके द्वार से एक भूखा ब्राह्मण लौट गया था यह उसी पापकर्म का फल है| राजा रंतिदेव ने प्रायश्चित करने के लिए समय माँगा तो यमदूतों ने उन्हें एक वर्ष का जीवन और दे दिया| राजा ने कार्तिक माह की कृष्ण चतुर्दशी का व्रत किया और ब्राह्मणों को भोजन करवाकर अपनी भूल के लिए क्षमा माँगी| इस प्रकार राजा पाप मुक्त हुए और उन्हें विष्णु लोक में स्थान प्राप्त हुआ| इस प्रकार इस दिन व्रत रखने की परम्परा पड़ी|
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इस दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर उबटन या तेल लगाकर स्नान करने का बड़ा महात्म्य है| फिर मंदिर में जाना बड़ा पुण्यदायक है| इससे पाप कटता है और रूप सौन्दर्य की प्राप्ति होती है| सर्वाधिक मोहक रूप तो सौन्दर्य की प्रतिमूर्ति भगवान श्रीकृष्ण का है| इस दिन उन की उपासना से वैसा ही रूप हमें भी प्राप्त होता है| इस लिए इस दिन को रूप_चतुर्दशी भी कहते हैं|
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छोटी_दीपावली की शुभ कामनाएँ !
ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
६ नवम्बर २०१८
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आज छोटी दीपावली है जिसे "नर्क चतुर्दशी" व "रूप चतुर्दशी" भी कहते हैं| नरकासुर नाम का एक राक्षस था, जिसने सोलह हजार एक सौ महिलाओं को बंदी बना रखा था| जब उसका अत्याचार बहुत अधिक बढ़ गया तब देवता और ऋषिमुनि भगवान श्रीकृष्ण की शरण में गए और उन्हें युद्ध के लिए मनाया| भयंकर युद्ध हुआ जिसमें भगवान श्रीकृष्ण कुछ समय के लिए मूर्छित हो गए| सारथी के रूप में गयी उनकी पत्नी सत्यभामा ने नरकासुर के साथ भयंकर युद्ध किया और उसका वध कर दिया| उस दिन कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी थी, अतः इस दिन को नरकासुर चतुर्दशी या #नर्क_चतुर्दशी भी कहते हैं|
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रन्तिदेव एक पुण्यात्मा राजा थे| उन्होंने अनजाने में भी कोई पाप नहीं किया था, लेकिन जब मृत्यु का समय आया तो उन्हें नर्क में ले जाने उनके सामने यमदूत आ खड़े हुए| यमदूतों को सामने देख राजा अचंभित हुए और बोले मैंने तो कभी कोई पाप-कर्म ही नहीं किया फिर आप लोग मुझे लेने क्यों आए हो? पुण्यात्मा राजा की अनुनय भरी वाणी सुनकर यमदूतों ने कहा हे राजन् एक बार आपके द्वार से एक भूखा ब्राह्मण लौट गया था यह उसी पापकर्म का फल है| राजा रंतिदेव ने प्रायश्चित करने के लिए समय माँगा तो यमदूतों ने उन्हें एक वर्ष का जीवन और दे दिया| राजा ने कार्तिक माह की कृष्ण चतुर्दशी का व्रत किया और ब्राह्मणों को भोजन करवाकर अपनी भूल के लिए क्षमा माँगी| इस प्रकार राजा पाप मुक्त हुए और उन्हें विष्णु लोक में स्थान प्राप्त हुआ| इस प्रकार इस दिन व्रत रखने की परम्परा पड़ी|
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इस दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर उबटन या तेल लगाकर स्नान करने का बड़ा महात्म्य है| फिर मंदिर में जाना बड़ा पुण्यदायक है| इससे पाप कटता है और रूप सौन्दर्य की प्राप्ति होती है| सर्वाधिक मोहक रूप तो सौन्दर्य की प्रतिमूर्ति भगवान श्रीकृष्ण का है| इस दिन उन की उपासना से वैसा ही रूप हमें भी प्राप्त होता है| इस लिए इस दिन को रूप_चतुर्दशी भी कहते हैं|
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छोटी_दीपावली की शुभ कामनाएँ !
ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
६ नवम्बर २०१८
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