तारक मन्त्र "राम" नाम सत्य है (रामनाम का महत्त्व) ....
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"र" अग्निबीज है जो शोक, मोह, और कर्मबंधनों का दाहक है|
"आ" सूर्यबीज है जो ज्ञान का प्रकाशक है|
"म" चंद्रबीज है जो मन को शांति व शीतलता दायक है|
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"राम" नाम और "ॐ" का महत्व एक ही है| "राम" नाम तारक मन्त्र है, और "ॐ" अक्षर ब्रह्म है| दोनों का फल एक ही है|
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विशेष :----- यह मैं पहिले भी लिख चुका हूँ| "राम" नाम के जाप और "ॐ" यानि ओंकार के ध्यान से एक रक्षा कवच का निर्माण होता है जो हमारी रक्षा करता है| मृत्यु एक अटल सत्य है| जिसने जन्म लिया है उसकी मृत्यु भी होगी ही| जब किसी की शव यात्रा जा रही होती है तब मृतक के परिजन "राम नाम सत्य है" कहते हुए ही जाते हैं| ऐसी मान्यता है कि भौतिक मृत्यु के उपरांत जीवात्मा की उसके पुण्यों/पापों के अनुसार गति होती है| अधिकाँश मनुष्यों के अच्छे पुण्य नहीं होते अतः वे अपनी मृत देह के आसपास भटकते रहते हैं, और अपनी वासना की पूर्ति हेतु औरों की देह में प्रवेश करने का प्रयास करते हैं| राम का नाम लेने से उपस्थित लोगों के ऊपर एक रक्षा-कवच का निर्माण होता है जो उनकी रक्षा करता है|
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राम का नाम न केवल सत्य है, बल्कि भारतीय जन मानस में रचा बसा भी है| यही कारण है कि परस्पर अभिवादन में 'राम-राम', कोई त्रुटि होने पर क्षोभ व्यक्त करने के लिए भी 'राम राम', आश्चर्य प्रकट करने के लिए 'हे राम', संकटग्रस्त होने पर सहायता की अपेक्षा में भी 'हे राम' और अंतिम यात्रा में तो "राम नाम सत्य है" कहते ही हैं|
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राम नाम जीवन का मंत्र है, मृत्यु का नहीं| राम, भगवान शिव के आराध्य हैं| राम ही हमारे जीवन की ऊर्जा हैं| जो रोम रोम में बसे हुए हैं वे राम है| जिसमें योगिगण निरंतर रमण करते हैं वे राम हैं| ‘रा’ शब्द परिपूर्णता का बोधक है और ‘म’ शब्द परमेश्वर का वाचक है| चाहे निर्गुण हो या सगुण, "राम" शब्द एक महामंत्र है|
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राम नाम निर्विवाद रूप से सत्य है| राम नाम के निरंतर जाप से सद्गति प्राप्त होती है|
राम राम राम राम राम राम राम राम !! जय श्रीराम ! जय श्रीराम ! जय श्रीराम !
कृपा शंकर
६ नवम्बर २०१८
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"र" अग्निबीज है जो शोक, मोह, और कर्मबंधनों का दाहक है|
"आ" सूर्यबीज है जो ज्ञान का प्रकाशक है|
"म" चंद्रबीज है जो मन को शांति व शीतलता दायक है|
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"राम" नाम और "ॐ" का महत्व एक ही है| "राम" नाम तारक मन्त्र है, और "ॐ" अक्षर ब्रह्म है| दोनों का फल एक ही है|
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विशेष :----- यह मैं पहिले भी लिख चुका हूँ| "राम" नाम के जाप और "ॐ" यानि ओंकार के ध्यान से एक रक्षा कवच का निर्माण होता है जो हमारी रक्षा करता है| मृत्यु एक अटल सत्य है| जिसने जन्म लिया है उसकी मृत्यु भी होगी ही| जब किसी की शव यात्रा जा रही होती है तब मृतक के परिजन "राम नाम सत्य है" कहते हुए ही जाते हैं| ऐसी मान्यता है कि भौतिक मृत्यु के उपरांत जीवात्मा की उसके पुण्यों/पापों के अनुसार गति होती है| अधिकाँश मनुष्यों के अच्छे पुण्य नहीं होते अतः वे अपनी मृत देह के आसपास भटकते रहते हैं, और अपनी वासना की पूर्ति हेतु औरों की देह में प्रवेश करने का प्रयास करते हैं| राम का नाम लेने से उपस्थित लोगों के ऊपर एक रक्षा-कवच का निर्माण होता है जो उनकी रक्षा करता है|
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राम का नाम न केवल सत्य है, बल्कि भारतीय जन मानस में रचा बसा भी है| यही कारण है कि परस्पर अभिवादन में 'राम-राम', कोई त्रुटि होने पर क्षोभ व्यक्त करने के लिए भी 'राम राम', आश्चर्य प्रकट करने के लिए 'हे राम', संकटग्रस्त होने पर सहायता की अपेक्षा में भी 'हे राम' और अंतिम यात्रा में तो "राम नाम सत्य है" कहते ही हैं|
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राम नाम जीवन का मंत्र है, मृत्यु का नहीं| राम, भगवान शिव के आराध्य हैं| राम ही हमारे जीवन की ऊर्जा हैं| जो रोम रोम में बसे हुए हैं वे राम है| जिसमें योगिगण निरंतर रमण करते हैं वे राम हैं| ‘रा’ शब्द परिपूर्णता का बोधक है और ‘म’ शब्द परमेश्वर का वाचक है| चाहे निर्गुण हो या सगुण, "राम" शब्द एक महामंत्र है|
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राम नाम निर्विवाद रूप से सत्य है| राम नाम के निरंतर जाप से सद्गति प्राप्त होती है|
राम राम राम राम राम राम राम राम !! जय श्रीराम ! जय श्रीराम ! जय श्रीराम !
कृपा शंकर
६ नवम्बर २०१८
राम नाम की महिमा :---
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"बंदउँ नाम राम रघुवर को। हेतु कृसानु भानु हिमकर को॥
बिधि हरि हरमय बेद प्रान सो। अगुन अनूपम गुन निधान सो॥
महामंत्र जोइ जपत महेसू। कासीं मुकुति हेतु उपदेसू॥
महिमा जासु जान गनराउ। प्रथम पूजिअत नाम प्रभाऊ॥
जान आदिकबि नाम प्रतापू। भयउ सुद्ध करि उलटा जापू॥
सहस नाम सम सुनि सिव बानी। जपि जेई पिय संग भवानी॥
हरषे हेतु हेरि हर ही को। किय भूषन तिय भूषन ती को॥
नाम प्रभाउ जान सिव नीको। कालकूट फलु दीन्ह अमी को॥"
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"राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे| सहस्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने||"
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"विष्णोरेकैकनामानि सर्ववेदाधिकं मतम्| तादृङ् नामसहस्रेण रामनाम समं मतम्||"
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"रमन्ते योगिनोSनन्ते सत्यानन्दे चिदात्मनि| इति रामपदेनासौ परम् ब्रह्माभिधीयते||"
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"र" अग्निबीज है जो शोक, मोह, और कर्मबंधनों का दाहक है|
"आ" सूर्यबीज है जो ज्ञान का प्रकाशक है|
"म" चंद्रबीज है जो मन को शांति व शीतलता दायक है|
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"राम" नाम और "ॐ" का महत्व एक ही है| "राम" नाम तारक मन्त्र है, और "ॐ" अक्षर ब्रह्म है| दोनों का फल एक ही है|
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राम राम राम !!