Saturday 10 November 2018

दीपावली पर सभी श्रद्धालुओं को शुभ कामनाएँ और नमन .....

दीपावली पर सभी श्रद्धालुओं को शुभ कामनाएँ और नमन !
-----------------------------------------------------------------
मेरे प्रिय निजात्मगण, आप सब परमात्मा की सर्वश्रेष्ठ साकार अभिव्यक्तियाँ हैं, आप सब मेरे प्राण हैं, मैं आप सब को नमन करता हूँ| आज दीपावली का उत्सव है| यह हर व्यक्ति के विवेक और दृष्टिकोण पर निर्भर है कि वह इस उत्सव को किस प्रकार मनाये| दीपावली की रात्री में अधिकाँश श्रद्धालु जगन्माता के महालक्ष्मी रूप की आराधना करते हैं| इसमें भी दो अलग अलग दृष्टिकोण हैं| अधिकाँश में से अधिकाँश लोगों के लिए महालक्ष्मी धन देने वाली देवी है, और कुछ के लिए सब प्रकार के सर्वश्रेष्ठ गुण प्रदान करने वाली| इसी तरह जगन्माता का महाकाली का रूप है जिस की भी आराधना आज की रात्री में अनेक लोग करते हैं| अधिकाँश लोगों के लिए महाकाली सिद्धियाँ प्रदान करने वाली देवी हैं, कुछ के लिए आध्यात्म में बाधक सब प्रकार के विकारों, बाधाओं और अज्ञानता का नाश करने वाली देवी| कुछ लोग दीपावली जूआ खेल कर और शराब पीकर मनाते हैं, और कुछ लोग मंत्रसिद्धि के लिए| कुछ लोग श्रीकृष्ण की आराधना करते है, कुछ लोग शिव की, और कुछ लोग अपने अपने गुरु के रूप का ध्यान करते हैं| सब का अलग अलग दृष्टिकोण और सोच है|
.
मैं न तो किसी को कोई सलाह दूंगा क्योंकि यह मेरा कार्य नहीं है| मैं सिर्फ अपने विचारों और भावों को ही व्यक्त करने के लिए अंतर्प्रेरणा से इस मंच पर हूँ| मैं यहाँ यह स्पष्ट कर देना चाहता हूँ कि मैं न तो किसी से कोई सहानुभूति प्राप्त करना चाहता हूँ, और न कोई अन्य लाभ| किसी से मुझे कुछ भी जो कुछ भी मिल सकता है, वह सब मुझे पहले से ही परमात्मा से प्राप्त है, अतः किसी से कुछ भी लेना-देना नहीं है|
.
सबसे पहले तो मैं यह बता देना चाहता हूँ कि यह आध्यात्मिक यात्रा कोई फूलों की सेज नहीं है, अपितु एक कंटकाकीर्ण अति दुर्गम मार्ग है जिस में खांडे की धार पर चलना पड़ता है| इस में शक्ति और ऊर्जा का जो एकमात्र स्त्रोत है वह है "भक्ति" यानि परमात्मा के प्रति परमप्रेम और समर्पण| इस मार्ग में हमें सब कुछ खोना पड़ता है, हर तरह की बाधाओं का सामना करना पड़ता है, और कई बार तो मरणान्तक पीड़ा तक भी सहन करनी पड़ती है| पाने को तो इस में कुछ भी नहीं है, सिर्फ खोना ही खोना है| एकमात्र लाभ जो है वह है ईश्वर-लाभ| पर उसको पाते पाते यानि वहाँ तक पहुँचते पहुँचते व्यक्ति वीतराग हो जाता है, कोई राग-द्वेष और अहंकार नहीं बचता और सांसारिक भोग महत्वहीन हो जाते हैं| श्रुति भगवती इसी के लिए कहती हैं .... "उत्तिष्ठत जाग्रत प्राप्य वरान्निबोधत| क्षुरस्य धारा निशिता दुरत्यया दुर्गं पथस्तत्कवयो वदन्ति||" (कठोपनिषद्, १/३/१४)| श्रृति के वचन अंतिम प्रमाण और अंतिम आदेश हैं| इस पर किसी को कोई भी संदेह नहीं होना चाहिए|
.
साधकों के लिए दीपावली की रात्रि का अत्यधिक महत्त्व है| दीपावली की रात्री को व्यर्थ की गपशप, इधर-उधर घूमने-फिरने, पटाखे फोड़ने, जूआ खेलने, शराब पीने, अदि में समय नष्ट नहीं करें| सब को पता होना चाहिए कि इस रात्री को समय का कितना बड़ा महत्त्व है| साधना की दृष्टी से चार रात्रियाँ बड़ी महत्वपूर्ण होती हैं ..... (१) कालरात्रि (दीपावली), (२) महारात्रि (शिवरात्रि), (३) दारुण रात्रि (होली), और (४) मोहरात्रि (कृष्ण जन्माष्टमी)| कालरात्रि (दीपावली) का आध्यात्मिक महत्व बहुत अधिक है| अपनी अपनी गुरु परम्परानुसार खूब जप तप व साधना इस रात्रि को अवश्य करनी चाहिए| कुछ समझ में नहीं आये तो राम नाम का खूब जप करें जो बहुत अधिक शक्तिशाली व परम कल्याणकारी है| राम नाम तारक मन्त्र है, जो सर्वसुलभ सर्वदा सब के लिए उपलब्ध है| जो योगमार्ग के साधक हैं, उन्हें इस कालरात्री में अनंत परमाकाश में ज्योतिर्मय कूटस्थ अक्षर ब्रह्म का ध्यान कालातीत अवस्था की प्राप्ति के लिए अवश्य करना चाहिए| शुद्ध आचार-विचार, और ब्रह्मचर्य का पालन करें|
.
सभी को सभी को दीपावली की शुभ कामनाएँ और नमन!
हरि ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
०७ नवम्बर २०१८

No comments:

Post a Comment